मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश में परिवारों की शुद्ध बचत (घरेलू बचत) पिछले तीन वर्षों में 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक घटकर 2022-23 में 14.16 लाख करोड़ रुपये रह गई है। यह 2017-18 के बाद परिवारों की शुद्ध बचत का पांच साल का निचला स्तर है। उस दौरान शुद्ध घरेलू बचत 13.05 लाख करोड़ रुपये रही थी।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में शुद्ध घरेलू बचत अपने शीर्ष पर पहुंच गई थी। उस दौरान परिवारों ने शुद्ध रूप से 23.29 लाख करोड़ रुपये की बचत की थी। इस अवधि के बाद से परिवारों की शुद्ध बचत लगातार घट रही है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंत्रालय ने अपने ताजा आंकड़ों में कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 में परिवारों ने शुद्ध रूप से 14.92 लाख करोड़ रुपये की बचत की थी। वित्त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा बढ़कर 15.49 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। 2020-21 में अपने शीर्ष पर पहुंचने के बाद 2021-22 में परिवारों की शुद्ध बचत फिर घटकर 17.12 लाख करोड़ रुपये रह गई।
मीडिया सूत्रों के अनुसार, परिवारों पर वित्तीय देनदारी 2022-23 में 73 फीसदी बढ़कर 15.6 लाख करोड़ पहुंच गई। 2021-22 में यह आंकड़ा 9 लाख करोड़ था। इस अवधि में परिवारों की वित्तीय बचत 26.1 लाख करोड़ से 14 फीसदी बढ़कर 29.7 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। परिवारों पर वित्तीय संस्थानों एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का कर्ज भी तीन वर्षों में चार गुना बढ़ा है। 2022-23 में यह बढ़कर 3.33 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 2021-22 में यह 1.92 लाख करोड़ और 2020-21 में 93,723 करोड़ रुपये था। बैंक कर्ज भी तीन वर्षों में दोगुना होकर 2022-23 में 11.88 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। 2020-21 में यह 6.05 लाख करोड़ था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जीडीपी की तुलना में घरेलू बचत वित्त वर्ष 2022-23 में पांच दशक के निचले स्तर 5.3 फीसदी पर आ गई है। कोरोना काल को छोड़कर 2012 से 2022 के बीच यह 7-8 फीसदी थी। विश्लेषकों की मानें तो बहुत अधिक खपत/खर्च का लाभ उठाया जाता है। इससे कुछ वर्गों में मांग में वृद्धि हुई है।
मीडिया में आई खबर के अनुसार, आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 में म्यूचुअल फंड में निवेश करीब तीन गुना होकर 1.79 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। 2020-21 में यह सिर्फ 64,080 करोड़ रुपये था। 2021-22 में म्यूचुअल फंड में 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। वित्त वर्ष 2022-23 में डिबेंचर्स और शेयरों में भी निवेश दोगुना होकर 2.06 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह 1.07 लाख करोड़ रुपये रहा था। 2021-22 के दौरान डिबेंचर्स और शेयरों में 2.14 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया था।
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