मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कल राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि आयुर्वेद, भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाना, हमारी संस्कृति का प्रचार है। हमारा सौभाग्य है कि प्रदेश में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का भरपूर भंडार है। प्रदेश के जनजातीय भाई-बहनों के पास प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और औषधीय पेड़-पौधों के ज्ञान का खजाना मौजूद हैं। उन्होंने सभी से आव्हान किया कि आयुर्वेद के फायदों के बारे में आमजनों को जागरूक करें। राज्यपाल पटेल पं. उद्धवदास मेहता स्मृति न्यास द्वारा आयोजित शीर्ष आयुर्वेद चिकित्सकों का सम्मान और अखिल भारतीय आयुर्वेद पी.जी. निबंध प्रतियोगिता के पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे।
सम्मान समारोह का आयोजन विश्व आयुर्वेद परिषद के सहयोग से मानस भवन भोपाल में किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल पटेल ने आयुर्वेद चिकित्सकों का सम्मान किया और निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया। उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी। न्यास की स्मारिका का लोकार्पण भी किया।
राज्यपाल पटेल ने कहा कि आयुर्वेद आरोग्य का विज्ञान है। यह मानव के सम्पूर्ण स्वास्थ्य, खान-पान और आचार-विचार पर केन्द्रित है। यह रोगों के इलाज के साथ ही स्वस्थ जीवन शैली पर भी फोकस करता है। राज्यपाल पटेल ने कहा कि आयुष के क्षेत्र में हर्बल मेडिसिन, आयुर्वेद और योग टूरिज्म की असीम संभावनाओं को अवसर में बदलने विशेष प्रयास किए जाए। उन्होंने बच्चों को समझाईश भी दी कि फास्ट फूड्स और कोल्ड ड्रिन्क्स का सेवन नहीं करे। नियमित योग और कसरत करें। पौष्टिक आहार का सेवन करे।
कोविड के बाद आयुर्वेद के हॉलिस्टिक विजन की ओर लौट रहा विश्व
राज्यपाल पटेल ने कहा कि आयुर्वेद वेलनेस को प्रमोट करता है। वह उसी व्यक्ति को स्वस्थ मानता है जिसका शरीर संतुलन में हो। जिसकी सभी क्रियाएँ संतुलित हों और मन प्रसन्न हो। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के अनुभव के बाद, सम्पूर्ण विश्व आयुर्वेदिक ज्ञान के हॉलिस्टिक विजन और जीवन दर्शन की ओर लौट रहा है। राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आयुर्वेद को विश्व भर में नई पहचान मिल रही हैं। केन्द्र सरकार ने आयुष मंत्रालय बनाने और ऑल इण्डिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद खोलने की पहल की है। जामनगर गुजरात में विश्व का पहला और इकलौता ग्लोबल सेन्टर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिंन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा खोला गया है। सेन्टर फॉर इंटीग्रेटेड मेडिसिन, एम्स द्वारा योग और आयुर्वेद से जुड़ी कई महत्वपूर्ण रिसर्च हो रही है। आयुष रिसर्च पोर्टल पर 40 हजार से अधिक स्टडीज का डेटा भी उपलब्ध हो गया है।
आयुष, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि आयुर्वेद एक जीवन पद्धति है। आयुर्वेद का भारतीय ज्ञान परम्परा में महत्वपूर्ण स्थान है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से प्रदेश में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष कार्य किए जा रहे है। मंत्री परमार ने कहा कि स्मृति न्यास के अंतर्गत आयुर्वेद लाईब्रेरी स्थापित की जाएगी। इस लाईब्रेरी का स्वरूप डिजिटल भी होगा ताकि विश्व भर के आयुर्वेद चिकित्सकों, छात्रों, शोधार्थियों और आमजनों को भी लाभ मिल सके। सांसद आलोक शर्मा ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले चिकित्सकों को बधाई दी। आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के विभिन्न आयोजनों के लिए स्मृति न्यास को साधुवाद दिया। भोपाल (दक्षिण-पश्चिम) विधायक भगवान दास सबनानी ने आयुर्वेद चिकित्सा के प्रचार-प्रसार में पं. उद्धवदास मेहता के योगदान को याद किया।
राज्यपाल पटेल का पुष्प-गुच्छ से स्वागत और शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया। पं. उद्धवदास मेहता स्मृति न्यास के अध्यक्ष उमाशंकर गुप्ता ने पं. मेहता के व्यक्तित्व और कृत्तिव पर प्रकाश डाला। उन्होंने न्यास के उद्देश्यों, कार्यों और उपलब्धियों की जानकारी दी। प्रो. गोविन्द सहाय शुक्ल ने समारोह की रूपरेखा और प्रतिभागियों की जानकारी दी। आभार समारोह के प्रायोजक झन्डु ईमामी के डॉ. आदित्य ने किया। सम्मान समारोह में झन्डु ईमामी के संजय भट्ट, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक, विजेता प्रतिभागी, आयुर्वेद छात्र-छात्राएं, उनके परिजन, विश्व आयुर्वेद परिषद के पदाधिकारीगण उपस्थित थे।
News & Image Source: mpinfo.org
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