मंत्रालय में सचिव मनोज जोशी ने कहा है कि टूटे खिलौने आम तौर पर कचराघर में फैंक दिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले जो लकडी के खिलौने बनते थे, वे अधिक दिन तक चलते थे। श्री जोशी ने कहा कि पुराने खिलौनो को नया रूप देकर फिर से बेचा जा सकता है। उन्होंने खिलौनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए समाजिक स्तर पर आंदोलन चलाए जाने पर जोर दिया। यह प्रतियोगिता शहरी स्वच्छ मिशन के तहत शुरू की गई है। प्रतियोगिता सूखे कचरे से खिलौना तैयार करने में नवाचारों के लिए खुली होगी। इसमें सुरक्षा मानकों के पालन के साथ कुशल डिजाइन के खिलौने तैयार करने पर ध्यान दिया जाएगा। यह प्रतियोगिता माईगॉव्स इनोवेट इंडिया पोर्टल पर आयोजित होगी। सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग और आई.आई.टी. गांधीनगर इस पहल के साझीदार हैं।
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