इंदौर क्राइम ब्रांच ने कथित 1.60 करोड़ रुपये के ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले में 2 और लोगों को किया गिरफ्तार, कुल 17 गिरफ्तार

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इंदौर क्राइम ब्रांच ने कथित 1.60 करोड़ रुपये के 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाले में 2 और लोगों को किया गिरफ्तार, कुल 17 गिरफ्तार
(DCP Crime Branch Rajesh Kumar Tripathi, Indore Police)

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश की इंदौर क्राइम ब्रांच ने 2024 के ‘डिजिटल अरेस्ट’ घोटाले में पंजाब और गुजरात से दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों पर एक महिला से कम से कम ₹1.60 करोड़ की ठगी करने का आरोप है। पुलिस किसी बड़े गिरोह की संभावित संलिप्तता की जाँच कर रही है। दोनों आरोपियों की पहचान पंजाब निवासी पतरस कुमार (उर्फ केलिस) और गुजरात निवासी सौरभ के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार, पूछताछ के दौरान कुमार ने खुलासा किया कि वह इस तरह की ठगी का प्रशिक्षण लेने के लिए लाओस जाने वाला था, जबकि सौरभ ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था। कुमार को अमृतसर हवाई अड्डे पर उस समय हिरासत में लिया गया जब वह कथित तौर पर विदेश जा रहा था। पुलिस के अनुसार, कथित धोखाधड़ी में गिरफ्तार लोगों की कुल संख्या 17 हो गई है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इंदौर अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त राजेश कुमार त्रिपाठी ने गुरुवार को बताया, “नवंबर 2024 में एक घटना हुई थी, जिसमें एक महिला को 3-4 दिनों तक डिजिटल गिरफ्तारी में रखा गया और धीरे-धीरे उससे 1 करोड़ 60 लाख रुपये की ठगी की गई। जांच के बाद पुलिस ने मामले में 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें खाता उपलब्ध कराने वाले और पैसा ट्रांसफर करने वालों को भी गिरफ्तार किया गया है।” डीसीपी ने कहा, “पुलिस ने 2 और आरोपियों (पतरस कुमार उर्फ ​​केलिस और सौरभ) को पकड़ा है। पूछताछ में पता चला कि वे लाओस जा रहे थे और वहां इसके लिए प्रशिक्षण ले रहे थे। ये दोनों मुख्य आरोपी (पतरस और सौरभ) हैं। संभव है कि इसमें और लोग शामिल हों। हम आगे की जांच कर रहे हैं।” पुलिस ने कहा है कि एक समूह है जो लोगों को इस तरह के घोटाले करने के लिए प्रशिक्षित करता है, जिसमें पाकिस्तान, नेपाल और चीन सहित पड़ोसी देशों के कई लोग आते हैं, जो महिलाओं और बुजुर्गों को ठगना सीखते हैं, विशेष रूप से फेसबुक के माध्यम से उनकी जानकारी प्राप्त करके। डीसीपी ने कहा, “इनके अलावा, पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, नेपाल और चीन से भी कई लोग आते हैं और अलग-अलग शिफ्टों में ठगी के तरीके सीखते हैं। कुछ लोगों को महिलाओं और 45-60 साल की उम्र के लोगों के नाम बताए गए थे। उन्हें ये नाम फेसबुक के ज़रिए मिले और बाद में आरोपियों ने पीड़ितों की वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए उनसे बात करनी शुरू कर दी।” डीसीपी त्रिपाठी ने कहा, “पूरी योजना चीनी लोगों के ज़रिए बनाई गई थी। मोबाइल नंबरों के साथ वीपीएन का इस्तेमाल किया गया था, जिससे उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो गया था और वे बार-बार ऐसी हरकतें करते थे। ये दोनों इस मामले के मुख्य आरोपी हैं। इन दोनों की भूमिका महिलाओं के विभिन्न समूहों को ढूँढ़ने और उनकी वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने की थी।” डीसीपी ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि हिंदी और अंग्रेजी अनुवादक भी मौजूद थे, ताकि विभिन्न देशों के लोग एक-दूसरे से बातचीत कर सकें।

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