मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विज्ञानी नंबी नारायणन को झूठे मामले में फंसाने वाला इसरो जासूसी मामला एक गहरी साजिश थी। सीबीआई के अनुसार, कथित तौर पर केरल पुलिस के एक तत्कालीन विशेष शाखा अधिकारी द्वारा मालदीव की महिला की भारत में अवैध हिरासत को उचित ठहराने के लिए यह साजिश रची गई थी, क्योंकि उसने अधिकारी से संबंध बनाने के इन्कार कर दिया था। सीबीआई ने जासूसी मामले में नारायणन और मालदीव की दो महिलाओं सहित पांच अन्य को कथित तौर पर फंसाने के लिए पांच पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दायर आरोप पत्र में यह आरोप लगाया है। आरोपपत्र जून के आखिरी सप्ताह में दायर किया गया था, जिसे बुधवार को सार्वजनिक किया गया। सीबीआई ने कहा है कि तत्कालीन विशेष शाखा अधिकारी एस विजयन ने मालदीव की नागरिक मरियम रशीदा के यात्रा दस्तावेज और हवाई टिकट ले लिए थे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विजयन को पता चला कि वह इसरो विज्ञानी डी शशिकुमारन के संपर्क में थी और उसके आधार पर रशीदा और उसकी दोस्त फौजिया हसन पर निगरानी रखी गई। रशीदा को वैध वीजा के बिना देश में अधिक समय तक रहने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। जब हिरासत समाप्त होने वाली थी, तो विजयन द्वारा प्रस्तुत झूठी रिपोर्ट के आधार पर उसे और हसन को एक मामले में फंसाया गया और उनकी हिरासत एसआईटी को सौंप दी गई। इसके बाद, एसआईटी ने नारायणन सहित इसरो के चार विज्ञानियों को गिरफ्तार कर लिया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नारायणन ने कहा कि एक व्यक्ति के तौर पर उन्हें इसकी चिंता नहीं है कि आरोपपत्र में शामिल पूर्व पुलिस और आईबी अधिकारियों को सजा दी गई या नहीं, क्योंकि मामले में उनकी भूमिका खत्म हो चुकी है। मैं उनसे माफी की उम्मीद नहीं करता। अगर वे सिर्फ इतना कहते कि उन्होंने गलती की है तो मुझे खुशी होती।
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