उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने पुदुचेरी विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह को किया संबोधित

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मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने सोमवार को पुदुचेरी विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया और स्नातक विद्यार्थियों से राष्ट्र निर्माण की जिम्मेदारी उठाने का आह्वान किया। उन्होंने छात्रों को ‘विकसित भारत @2047’ का शिल्पकार बताते हुए देश के भविष्य को गढ़ने में उनकी अहम भूमिका पर जोर दिया। स्नातक विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत समारोह केवल शैक्षणिक सफलता का उत्सव नहीं होता, बल्कि यह एक गंभीर क्षण है, जो अधिक ज़िम्मेदारी की ओर बढ़ने का आभास कराता है. उन्होंने स्नातकों को याद दिलाया कि उनकी डिग्रियों के साथ यह दायित्व भी जुड़ा है कि वे अपने ज्ञान का उपयोग समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए करें। पुदुचेरी को सांस्कृतिक समृद्धि और आध्यात्मिक विरासत की भूमि बताते हुए उपराष्ट्रपति ने सुब्रमण्यम भारती, भरथिदासन और श्री अरबिंदो जैसे महान कवियों और विचारकों के स्थायी प्रभाव को याद किया। उन्होंने कहा कि श्री अरबिंदो का दर्शन आज भी उच्च शिक्षा को दिशा देता है, जो ज्ञान, आध्यात्मिकता और कर्म का समन्वय करता है तथा ऐसे मस्तिष्क तैयार करता है, जो राष्ट्रीय प्रगति और वैश्विक सद्भाव में योगदान देने में सक्षम हों।उपराष्ट्रपति ने पुदुचेरी विश्वविद्यालय को NAAC के पांचवें मूल्यांकन चक्र में प्रतिष्ठित A+ ग्रेड प्राप्त करने पर बधाई दी और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ किए गए 113 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) सहित इसके वैश्विक सहयोग की सराहना की। उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में विश्वविद्यालय के 28 संकाय सदस्यों के शामिल होने को भी शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रमाण बताया।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विकसित भारत @2047 की दिशा में भारत की यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत यह दृष्टि एक समृद्ध, समावेशी और विकसित भारत के निर्माण के लिए समग्र रोडमैप प्रदान करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक मौलिक परिवर्तन का संकेत है-रटंत विद्या से आलोचनात्मक सोच की ओर, कठोर विषय सीमाओं से बहुविषयक अध्ययन की ओर और परीक्षा-केंद्रित दृष्टिकोण से समग्र विकास की ओर और स्नातकों से इसके भाव के दूत बनने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने शिक्षा मंत्रालय की प्रमुख पहलों- पीएम-उषा (PM-USHA), स्वयं (SWAYAM), दीक्षा (DIKSHA) और राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालयका भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये पहलें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाती हैं और इस विश्वास को दर्शाती हैं कि शिक्षा कुछ चुनिंदा लोगों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि सभी का अधिकार होनी चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन, बायोटेक्नोलॉजी और डिजिटल कनेक्टिविटी के माध्यम से दुनिया में हो रहे तेज़ बदलावों को लेकर छात्रों को आगाह करते हुए उन्होंने तकनीकी उत्साह और नैतिक सजगता के बीच संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं से यह भी आग्रह किया कि वे मज़बूती से “नशे को ना” कहें और अपने दोस्तों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।प्राचीन तमिल ग्रंथ नालडियार (Naladiyar) का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने छात्रों को याद दिलाया कि ज्ञान असीम है, लेकिन उसे अर्जित करने का समय सीमित है। उन्होंने स्नातकों से सूचना के विशाल सागर में से वही चुनने और आत्मसात करने का आग्रह किया जो मूल्यवान, नैतिक और सार्थक हो। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन का समापन करते हुए स्नातकों से आग्रह किया कि उनकी शिक्षा उन्हें अच्छे इंसान, जिम्मेदार नागरिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील पेशेवर बनाएं जहां ज्ञान विनम्रता से निर्देशित हो, तकनीक मानवीय मूल्यों से संचालित हो और सफलता सामाजिक जिम्मेदारी से परिभाषित हो। इस कार्यक्रम में पुदुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलाशनाथन, मुख्यमंत्री एन. रंगासामी और पुदुचेरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी. प्रकाश बाबू सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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