मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विभिन्न राज्यों के शैक्षणिक बोर्ड की फर्जी मार्कशीट, टीसी व अन्य शैक्षिक प्रमाण-पत्र बनाने वाले गिरोह के मुख्य सरगना समेत पांच सदस्यों को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से कई फर्जी मार्कशीट, शैक्षिक प्रमाण-पत्र व मार्कशीट बनाने के उपकरण बरामद हुए हैं। साथ ही एक रजिस्टर भी मिला है। इसमें कई अभ्यर्थियों के नाम और उनके रोल नंबर भी मिले हैं। गिरोह पूर्व में लखनऊ से काम कर रहा था, लेकिन वहां कार्रवाई में साथी पकड़े गए थे। इसके बाद गिरोह ने मथुरा में डेरा जमाना शुरू कर दिया था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस उप महानिरीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में बताया, 14 जनवरी को कोतवाल देवपाल सिंह पुंडीर को मुखबिर से सूचना मिली थी कि फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का मुख्य सरगना मनीष प्रताप सिंह उर्फ मांगेराम निवासी पुराना किला थाना हुसैनगंज जिला लखनऊ गोवर्धन चौराहे पर किसी ग्राहक की तलाश में खड़ा है। पुलिस ने गोवर्धन चौराहे से गिरोह के सदस्य मुकेश निवासी ग्राम चुरमुरा थाना फरह को गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से दो फर्जी मार्कशीट व एक मोबाइल बरामद हुआ। पूछताछ में बताया कि उसका फर्जी मार्कशीट बनाने का गिरोह है। बजरंग धर्मकांटा के पास एक निजी मकान किराए पर ले रखा है। इसमें फर्जी मार्कशीट बनाने का सेटअप लगा रखा है। इसके बाद पुलिस टीम ने मंगलवार रात साढ़े नौ बजे गिरोह के सदस्य की निशानदेही पर बजरंग धर्मकांटा के पास बने मकान में दबिश देकर मनीष प्रताप सिंह उर्फ मांगेराम निवासी पुराना किला थाना हुसैनगंज जिला लखनऊ, सुरेश चंद्र निवासी बसई थाना शेरगढ़, ऋषि निवासी ग्राम दलौता थाना शेरगढ़ और रामप्रकाश निवासी पुष्प विहार कालोनी थाना गोविंदनगर जिला मथुरा को गिरफ्तार किया। एक साथी विक्रम सिंह निवासी बसई थाना शेरगढ़ भागने में सफल रहा। पूछताछ में जानकारी हुई कि मनीष प्रताप सिंह उर्फ मांगेराम गैंग का सरगना है। इसके द्वारा अलग-अलग राज्यों के शिक्षा बोर्डों व विश्वविद्यालयों के नाम से फर्जी मार्कशीट, टीसी व अन्य शैक्षिक प्रमाण-पत्र कंप्यूटर पर साफ्टवेयर के माध्यम से बनाने का कार्य किया व कराया जाता है। इससे मोटी रकम वसूली जाती है। मुख्य सरगना मनीष ने बताया कि कुछ दिन पूर्व यही काम अपने साथियों के साथ लखनऊ में कर रहा था। लेकिन पुलिस द्वारा साथियों को पकड़ लिया गया था। वह मौके से फरार हो गया था। अब यह काम मथुरा से कर रहा था कि पुलिस ने दबोच लिया। मौके से कई फर्जी मार्कशीट, शैक्षणिक प्रमाण-पत्र तैयार करने संबंधी इलेक्ट्रानिक उपकरण, शैक्षिक प्रमाण पत्र, ब्लैंक पेपर इत्यादि बरामद हुए हैं। फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह के सदस्य नए-नए युवाओं को फंसाते हैं और उनको लालच देकर पांच से 50 हजार रुपये तक लेकर उनको फर्जी मार्कशीट व शैक्षणिक प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराते थे। पूछताछ में कई विवि व बोर्ड की संलिप्तता भी सामने आई है। रुपये का आधा हिस्सा गिरोह के सदस्य यूनिवर्सिटी व बोर्ड को भी देते थे। पुलिस ने उनकी जांच शुरू कर दी है। गिरोह के सदस्यों से पुलिस को मथुरा के 30 युवाओं की फर्जी मार्कशीट भी मिली है। पुलिस रजिस्टर में मिले अभ्यर्थियों के नाम और रोल नंबर के आधार पर फर्जी मार्कशीट की जांच करा रही है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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