देश में कुशल लोगों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसको देखते हुए राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी), आईआईटी रोपड़ और मसाई स्कूल की ओर से शुक्रवार को संयुक्त रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) में संयुक्त रूप से एक छोटा सर्टिफाइड प्रोग्राम लॉन्च किया गया है। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, इस प्रोग्राम के सात मॉड्यूल हैं, जिसमें फंडामेंटल ऑफ प्रॉम्ट इंजीनियरिंग, इंट्रोडक्शन टू मशीन लर्निंग, डाटा हैंडलिंग एंड प्रोसेसिंग, न्यूरल नेटवर्क और डीप लर्निंग, नेचुरल लैंगवेज प्रोसेसिंग (एनएलपी), लार्ज लैंगवेज मॉडल और कैप्सस्टॉन प्रोजेक्ट आदि शामिल किए गए हैं।
मीडिया की माने तो, कौशल विकास और उद्यम मंत्रालय के सचिव, अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि एआई को पाठ्यक्रम में शामिल करने से छात्रों को तकनीक के बारे में अच्छी जानकारी होगी। ऐसे में जॉब लेने में उन्हें इसका फायदा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि हम भविष्य की चुनौतियों का सामना करने और वैश्विक क्षेत्र में अपने देश की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त सुनिश्चित करने के लिए कार्यबल को तैयार कर रहे हैं। मौजूदा समय में भारत में एआई और एमएल में क्रेडिट लिंक्ड माइक्रो-स्पेशलाइजेशन की काफी मांग है और यह एक उच्च वेतन वाली नौकरी है।
बताते चले कि आईआईटी रोपड़ के निदेशक राजीव आहूजा ने कहा कि एआई और एमएल में छोटा कार्यक्रम छात्रों को समग्र शैक्षिक अनुभव प्रदान करने, व्यावहारिक अनुप्रयोग के साथ अकादमिक मिश्रण करने के हमारे समर्पण का प्रतीक है। एचआर टेक प्लेटफॉर्म गैटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जयपुर, ग्वालियर, हरिद्वार, जोधपुर और आगरा जैसे शहरों में एआई की नौकरियां तेजी से बढ़ रही हैं। भारत में एआई मार्केट 31.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है और 2027 तक इसके 5.1 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। मसाई स्कूल के सीईओ और सह-संस्थापक, प्रतीक शुक्ला ने कहा कि हम न केवल शिक्षा में बदलाव कर रहे हैं, बल्कि कौशल आधारित शिक्षा का एक नया पैमाना तैयार कर रहे हैं। इससे वैश्विक स्तर पर अच्छी प्रतिभा का एक पूल तैयार होगा।
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