एशिया पावर इंडेक्स : जापान-रूस को पछाड़ एशिया की तीसरी बड़ी ताकत बना भारत, पावर इंडेक्स में भारत की लंबी छलांग

0
64
एशिया पावर इंडेक्स : जापान-रूस को पछाड़ एशिया की तीसरी बड़ी ताकत बना भारत, पावर इंडेक्स में भारत की लंबी छलांग

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एशिया की ताकत के रूप में भारत तेजी से अपनी स्थिति मजबूत करता जा रहा है। खासतौर पर ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को धूल चटाने के बाद भारत की छवि तेजी से मजबूत हुई है। सैन्य क्षेत्र हो या आर्थिक, कूटनीतिक या सांस्कृतिक, कोई भी ऐसा क्षेत्र अछूता नहीं है, जिसमें भारत ने तरक्की का परचम न लहरा रखा हो। इन्हीं आधारों पर आस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित थिंक टैंक ‘लोवी इंस्टीट्यूट’ द्वारा जारी ‘एशिया पावर इंडेक्स 2025’ में भारत को एशिया की तीसरी बड़ी ताकत के तौर पर आंका गया है। खास बात ये है कि भारत ने इस रैंकिंग में जापान, रूस, आस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे दिग्गज देशों को पीछे छोड़ दिया है। इस सूची में एशिया का न होने के बावजूद इस क्षेत्र में अपने दबदबे के चलते अमेरिका पहले स्थान पर है, जबकि चीन दूसरे स्थान पर। इसी से भारत के बढ़ते रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है। एशिया के 27 देशों के प्रदर्शन के आधार पर ये सूची तैयार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत अपने समकक्ष देशों की तुलना में काफी आगे दिखता है, लेकिन चीन से अब भी बड़ा अंतर बना हुआ है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025 में भारत ने पहली बार उस सीमा को पार कर लिया है जिसे इंडेक्स में ”मेजर पावर” के दर्जे के रूप में परिभाषित किया गया है। अमेरिका 81.7 अंक लेकर निर्विवाद रूप से शीर्ष पर है। चीन 73.7 अंक के साथ दूसरे स्थान पर है, जो उसकी प्रभाव क्षमता में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्शाता है। भारत 40 अंक के साथ तीसरे स्थान पर है और उसके कुल प्रभाव में दो प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। यह प्रगति कोविड-19 के बाद भारत की तेज आर्थिक रिकवरी और बढ़ते भू-राजनीतिक प्रभाव का परिणाम मानी गई है।रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत की आर्थिक और सैन्य क्षमता दोनों में 2025 संस्करण में सुधार हुआ है। इसकी अर्थव्यवस्था मजबूत गति से बढ़ी है और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी, तकनीक और सामरिक प्रासंगिकता में भी हल्की बढ़ोतरी हुई है। भारत की सैन्य क्षमता भी निरंतर बेहतर हुई है।”अन्य देशों में रूस की प्रभाव क्षमता 2019 के बाद पहली बार बढ़ी है। उत्तर कोरिया और चीन के साथ उसके रक्षा और आर्थिक साझेदारी के कारण ऐसा माना जा रहा है। जापान की स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर रही, जबकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने भी हल्की सुधारात्मक बढ़त दर्ज की है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन की बढ़ती शक्ति के बीच आस्ट्रेलिया के लिए दीर्घकालिक प्रभाव बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, जबकि चीन और अमेरिका के बीच अंतर मामूली रूप से घटा है।

#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi

Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरे

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here