आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने गुजरात प्रवास के दौरान गांधीनगर में सहकार से समृद्धि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा है कि, “सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है, सहयोग है, सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है। यही आजादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है। सहकार की स्पिरिट को आजादी के अमृतकाल की स्पिरिट से जोड़ने के लिए हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। इसी उद्देश्य के साथ केंद्र में सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया। कोशिश यही है कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए। हमारे यहां जिसको भी छोटा समझकर कम आंका गया, उसको अमृतकाल में बड़ी ताकत बनाने पर हम काम कर रहे हैं। छोटे किसानों को आज हर प्रकार से सशक्त किया जा रहा है। इसी प्रकार लघु उद्योगों, MSMEs को भारत की आत्मनिर्भर सप्लाई चेन का मजबूत हिस्सा बनाया जा रहा है।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है। आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है। ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं। डेयरी सेक्टर के cooperative model का उदाहरण हमारे सामने है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेजी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “गुजरात में दूध आधारित उद्योगों का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ, क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से पाबंदियां कम से कम रहीं। सरकार जितना बच सके बचने की कोशिश करती है और सहकारी क्षेत्र को फलने-फूलने की आजादी देती है। पहले की सरकार में समस्याओं का सिर्फ तात्कालिक समाधान ही तलाशा गया। आगे वो समस्या न आए, इसके सीमित प्रयास ही किए गए। बीते 8 वर्षों में हमने तात्कालिक उपाय भी किए हैं और समस्याओं के स्थायी समाधान भी खोजे हैं। देश के किसान को दिक्कत न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल 1.60 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टिलाइजर में दी है। किसानों को मिलने वाली ये राहत इस साल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने वाली है।”
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