मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने छत्तीसगढ़ के तीन पूर्व शीर्ष अधिकारियों प्रधान सचिव आलोक शुक्ला, संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोपों के तहत प्राथमिकी दर्ज की है। इन पर नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में चल रही जांच को प्रभावित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप है। सीबीआई ने रायपुर में आरोपियों के ठिकानों पर तलाशी भी ली, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं। यह कार्रवाई शनिवार को सीबीआई प्रवक्ता द्वारा जारी बयान में सामने आई। सीबीआई के अनुसार, यह मामला पहले छत्तीसगढ़ के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) द्वारा जांचा गया था, जिसे अब सीबीआई ने अपने हाथ में लिया है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि इन अधिकारियों ने 2015 में दर्ज एनएएन मामले और उसके आधार पर ईडी द्वारा शुरू की गई जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। ये तीनों अधिकारी शुक्ला और टुटेजा (सेवानिवृत्त आईएएस) और वर्मा (पूर्व महाधिवक्ता) उस समय महत्वपूर्ण पदों पर थे। सीबीआई ने रायपुर में दो स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया, जिसमें दो आरोपी लोक सेवकों के परिसरों से कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए। जांच एजेंसी का कहना है कि इन दस्तावेजों से अधिकारियों की गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। सीबीआई का दावा है कि इन अधिकारियों ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते हुए एनएएन मामले और ईडी की जांच को पटरी से उतारने की कोशिश की। आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर यह सामने आया है कि आरोपियों ने जांच प्रक्रिया को विफल करने के लिए कई कदम उठाए। इनमें दस्तावेजों में हेरफेर और जांच को गुमराह करने की कोशिशें शामिल हैं। आरोप है कि टुटेजा और शुक्ला ने पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाया, ताकि वे जांच में पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करें। सीबीआई के बयान के अनुसार, वर्मा को इस तरह प्रभावित किया गया कि वे ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी द्वारा जांचे जा रहे मामलों में अनुचित तरीके से मदद करें और अग्रिम जमानत हासिल करने में सहायता करें। इसके अलावा, आरोपियों ने कथित तौर पर ईओडब्ल्यू में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से प्रक्रियात्मक और विभागीय दस्तावेजों में बदलाव करवाया। उच्च न्यायालय में एनएएन मामले के जवाब में भी हेरफेर किया गया, ताकि जांच को कमजोर किया जा सके। सीबीआई ने इस मामले में अपनी जांच को और गहरा करने का संकेत दिया है। तलाशी के दौरान बरामद दस्तावेजों की गहन पड़ताल की जा रही है, जो जांच को नई दिशा दे सकते हैं। यह मामला छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और कानूनी हलकों में हलचल मचा सकता है, क्योंकि इसमें शामिल अधिकारी उच्च पदों पर रह चुके हैं। सीबीआई प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि जांच में सभी तथ्यों और सबूतों की बारीकी से जांच की जाएगी। डिजिटल साक्ष्यों और बरामद दस्तावेजों के आधार पर यह साफ होगा कि अधिकारियों ने किस हद तक जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। इस मामले में आगे की कार्रवाई सबूतों और जांच के नतीजों पर निर्भर करेगी।
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