मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, जो देश की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में उनके लगभग 15 महीने के कार्यकाल की शुरुआत थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कई अन्य वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों, भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों और बड़ी संख्या में सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों के वर्तमान न्यायाधीशों की उपस्थिति में राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई। समारोह में उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। जस्टिस कांत, जस्टिस बीआर गवई का स्थान लेंगे, जो रविवार शाम सेवानिवृत्त हो गए। 30 अक्टूबर को मनोनीत मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति कांत 9 फरवरी, 2027 तक, जब वे 65 वर्ष के हो जाएँगे, इस पद पर कार्यरत रहेंगे। शपथ लेने के बाद न्यायमूर्ति कांत ने अपने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के पैर छुए, जो समारोह में एक भावुक और पारंपरिक क्षण था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत कई अहम फैसलों में सुप्रीम कोर्ट की बेंच का हिस्सा रह चुके हैं। अनुच्छेद 370 को रद करने से लेकर बिहार में एसआईआर पर सुनवाई तक, जस्टिस सूर्यकांत ने कई बड़े फैसले सुनाए हैं। उन्होंने चुनाव आयोग को एसआईआर के दौरान निकाले गए 65 लाख वोटरों की सूची जारी करने का आदेश दिया था। 10 फरवरी 1962 क हरियाणा के हिसार में जन्में जस्टिस सूर्यकांत ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी। वो हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
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