तेलंगाना: हैदराबाद में पूर्व पुलिस उपायुक्त राधाकिशन राव गिरफ्तार; फोन टैपिंग-आधिकारिक डेटा नष्ट करने के आरोप

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तेलंगाना: हैदराबाद में पूर्व पुलिस उपायुक्त राधाकिशन राव गिरफ्तार; फोन टैपिंग-आधिकारिक डेटा नष्ट करने के आरोप
Image Source : Amar Ujala

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फोन टैपिंग मामले में तेलंगाना में बड़ी कार्रवाई हुई है। हैदराबाद में  फोन टैपिंग और कुछ कंप्यूटर सिस्टम और आधिकारिक डेटा को नष्ट करने के आरोपी पूर्व पुलिस आयुक्त से गुरुवार को पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। अधिकारियों ने बताया कि पूर्व पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) राधाकिशन राव को गिरफ्तार कर हैदराबाद की स्थानीय जेल भेज दिया गया। मामले की जांच के दौरान पुलिस ने हाल ही में पूर्व एसआईबी प्रमुख टी प्रभाकर राव और कमिश्नर टास्क फोर्स के तत्कालीन पुलिस उपायुक्त पी राधाकृष्ण और एक तेलुगु टीवी चैनल के एक वरिष्ठ कार्यकारी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) भी जारी किया था।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इससे पहले 13 मार्च को विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) के निलंबित डीएसपी डी प्रणीत राव को गिरफ्तार किया गया था। करीब 10 दिन बाद 23 मार्च को दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षकों पर डी प्रणीत के साथ मिलीभगत के आरोप भी लगे हैं। प्रणीत को हैदराबाद पुलिस ने विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से खुफिया जानकारी मिटाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की सरकार के कार्यकाल में कथित फोन टैपिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

मीडिया में आई खबर के अनुसार, पूर्व डीसीपी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी करने के कारणों पर पुलिस ने कहा कि पी राधाकृष्ण जांच के लिए उपलब्ध नहीं हुए। उन्होंने कथित तौर पर सहयोग नहीं किया। विदेश जाने की आशंका के कारण लुकआउट सर्कुलर जारी किया।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, गौरतलब है कि प्रणीत राव को हाल ही में तेलंगाना सरकार ने निलंबित कर दिया था। बीआरएस सरकार के दौरान वे डीएसपी के पद पर थे। बाद में उन्होंने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय में भी सेवाएं दीं। उन पर पहले विपक्षी दल के नेताओं के फोन टैप करने का आरोप भी लगा था। पंजागुट्टा पुलिस स्टेशन में प्रणीत राव और अन्य के खिलाफ लोक सेवक के पद पर रहते हुए आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश और  सबूतों को गायब करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण कानून, 1984 (पीडीपीपी) और आईटी अधिनियम-2000 की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया।

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