दिल्ली चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी विधायक नरेश बाल्यान को झटका, पुलिस ने जमानत का किया विरोध

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दिल्ली चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी विधायक नरेश बाल्यान को झटका, पुलिस ने जमानत का किया विरोध

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत में मकोका मामले में गिरफ्तार आप विधायक नरेश बाल्यान की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने बाल्यान के अधिवक्ता और दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अखंड प्रताप सिंह की दलीलें सुनने के बाद मामले को नौ जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। दिल्ली पुलिस ने बाल्यान की याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि बाल्यान की गैंगस्टर कपिल सांगवान उर्फ नंदू के साथ सांठगांठ हैं। पुलिस के अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले के सह-आरोपित रितिक उर्फ पीटर और सचिन चिकारा ने कबूल किया है कि बाल्यान सांगवान के संगठित अपराध सिंडिकेट में एक मददगार और साजिशकर्ता था और उसने अपराध करने के बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सिंडिकेट के एक सदस्य को रुपये मुहैया कराए थे। दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता ने दलील दी कि जांच के दौरान इस मामले में सार्वजनिक गवाहों के बीएनएस की धारा 180 के तहत बयान दर्ज किए गए हैं, जिसमें उन्होंने आरोपित नरेश बाल्यान की आर्थिक लाभ के लिए कपिल सांगवान उर्फ नंदू के संगठित अपराध सिंडिकेट के साथ सक्रिय भागीदारी के बारे में बताया है। अधिवक्ता ने दलील दी कि बाल्यान को चार दिसंबर, 2024 को गिरफ्तार किया गया था और जांच के दौरान बाल्यान ने खुद बयान दर्ज कर कहा कि सांगवान के साथ उनकी सांठगांठ थी। दिल्ली पुलिस ने दलील दी कि जांच के दौरान गवाहों और आरोपितों के बयानों के अनुसार नौ संदिग्ध व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं। जिनमें से चार की पहचान हो गई है लेकिन उनका पता नहीं चल पाया है, जो व्यापारियों, बिल्डरों, प्रॉपर्टी डीलरों से जबरन वसूली, जमीन हड़पने जैसे संगठित अपराध को अंजाम देने में आरोपित नरेश बाल्यान से जुड़े हुए हैं। अधिवक्ता ने दलील दी कि जिन अन्य संदिग्ध व्यक्तियों के नाम रिकॉर्ड में आए हैं।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनकी पहचान की जानी है ताकि संगठित अपराध के पूरे मामले का पता लगाया जा सके और आरोपी नरेश बाल्यान और सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा प्राप्त किए गए आर्थिक लाभ का पता लगाया जा सके। जांच के दौरान पता चला कि आरोपित और उसके फरार साथी संगठित अपराध के मामले में शामिल थे। अधिवक्ता ने दलील दी कि व्यापारियों से रुपये ऐंठने और गवाहों की जायज संपत्तियों को हड़पने के इरादे से विवादित संपत्ति बना दी गई है। अधिवक्ता ने दलील दी कि यह एक नई घटना है। तीन प्राथमिकी हैं, यह आपराधिक गतिविधियों को जारी रखने के तत्वों को पूरा करता है। उन्होंने दलील दी कि तीसरा अपराध संगठित अपराध की प्रकृति में किया गया था। अधिवक्ता ने दलील दी कि मामले में केवल क्लिप एकमात्र सुबूत नहीं है बल्कि गवाहों और सह-आरोपितों के बयान भी हैं। अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपित की भूमिका संभावित लक्ष्यों की पहचान करना था। वह जमीन हड़पने में शामिल है। वह कम कीमत पर जमीन खरीदता था और उसे ऊंचे दामों पर बेचता था। नरेश बाल्यान की ओर से पेश अधिवक्ता एमएस खान ने तर्क दिया गया कि प्राथमिकी में कोई नया अपराध नहीं है। संगठित अपराध आइपीसी के तहत अन्य अपराधों से अलग है। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मकोका के तहत प्राथमिकी संगठित अपराध के खिलाफ नहीं है, यह कपिल सांगवान के नेतृत्व वाले संगठित अपराध सिंडिकेट के खिलाफ है। अधिवक्ता ने तर्क दिया गया कि गैरकानूनी गतिविधियां, संगठित अपराध और संगठित अपराध सिंडिकेट जारी हैं। अधिवक्ता ने दलील दी कि पुलिस एक वीडियो क्लिप पर भरोसा कर रही है। उनका दावा है कि यह वीडियो क्लिप उन्हें अगस्त 2024 में इस प्राथमिकी के दर्ज होने के बाद मिली थी, पुलिस ने अदालत को गुमराह किया है और तथ्य छिपाए हैं। जबकि यह क्लिप अगस्त 2023 से है। अधिवक्ता ने दलील दी कि सह-आरोपितों के बयान की सत्यता की जांच मुकदमे के समय की जानी चाहिए, जमानत देते समय नहीं। उन्होंने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कुछ नहीं हैं, कोई संगठित अपराध नहीं है। मकोका मामले में गिरफ्तारी के बाद से बाल्यान न्यायिक हिरासत में है।

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