मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तरी-पश्चिमी जिला के थाना सुभाष प्लेस पुलिस ने ‘डॉलर गिरोह’ के चार बांग्लादेशी को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया है। लोगों को डॉलर दिखाकर रुपये में बदलने का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। आरोपितों से पुलिस ने 20 अमेरिकी डॉलर के दो नोट, 10 अमेरिकी डॉलर के 6 नोट, 10 बांग्लादेशी टका के 2 नोट, अखबार के दो रोल, 40 हजार 300 रुपये समेत 11 मोबाइल फोन बरामद किए गए। पुलिस जांच में पता चला कि इनमें से दो आरोपी आदतन और सक्रिय अपराधी हैं। जो पहले धोखाधड़ी के दो मामलों में शामिल रह चुके हैं। जांच में पता चला कि आरोपित फर्जी कागजात पर आधार कार्ड बनवाकर भारत में रह रहे थे। आरोपितों की ओर से बताए गए पश्चिम बंगाल के पते का कोई लिंक नहीं मिला। नहीं किसी भी तरह का कोई रिकॉर्ड मिला है। वहीं, इस संबंध में पुलिस ने एक रिपोर्ट दिल्ली पुलिस की एफआरआरओ इकाई को भी भेज दी गई है। आरोपितों के आधार कार्ड रद करने के लिए यूआईडीएआई के सचिव को एक पत्र भेजा गया है। उत्तरी-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त भीष्म सिंह ने बताया कि 13 फरवरी को धौला कुआं में एक अज्ञात व्यक्ति ने पीड़ित से संपर्क किया। आरोपित ने पीड़ित को 20 डॉलर का नोट दिखाया और बताया कि उसके पास 20 डॉलर के कुल 1035 नोट हैं और वह उन्हें भारतीय रुपये में बदलना चाहता है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस दौरान डालर बदलने के लिए 16 फरवरी 2025 को एक बैठक निर्धारित की गई थी। आरोपित ने पीड़ित से संपर्क कर कहा कि दो लाख रुपये के बदले वह 20 डालर के एक हजार नोट देगा। पीडि़त ने पैसे उधार लेकर अपनी पत्नी के साथ टैक्सी से सम्राट सिनेमा, शकूरपुर के लिए निकल गए। जहां आरोपित और उसके दो साथियों से मिला। आरोपितों ने दो लाख रुपये लेकर एक नीला बैग दिया, आरोपितों ने कहा कि बैग में 20 डॉलर के एक हजार नोट हैं। बैग खोलने पर पीड़ित को नोटों के बंडलों की तरह अखबार, रूमाल, साबुन और डिटर्जेंट मिले। ठगी का पता चलने पर पीड़ित ने सुभाष प्लेस थाने में शिकायत दी। मामला दर्ज कर आरोपितों को पकड़ने के लिए एसएचओ सुभाष प्लेस महेश कसाना के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। टीम ने करीब 190 सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया और महत्वपूर्ण सुराग जुटाए। सीडीआर और गोपनीय जानकारी से तकनीकी डेटा टीम को हरियाणा के गुरुग्राम के धुंदाहेड़ा गांव तक ले गया। जहां एक संदिग्ध की पहचान की गई। कार्रवाई करते हुए यहां से गिरोह के चार सदस्यों को पुलिस ने पकड़ लिया। पकड़े गए आरोपितों ने पहले पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, सभी ने खुद को पश्चिम बंगाल निवासी बता रहे थे। सलीम खान ने पहले बताया कि वह बसंती थाना, जिला दक्षिण-24 परगना, पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। अली हसन ने बताया कि वह गांव कृष्णा नगर, नदिया, पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। आरोपित कलाम ने बताया कि वह जिला मुशीदाबाद, पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। चौथे आरोपित ढोलू शेख ने बताया कि वह सीडी पार्क जहांगीरपुरी में रहता है। लेकिन जांच के बाद सभी की शिनाख्त बांग्लादेशी के रूप में हुई। एसएचओ सुभाष प्लेस महेश कसाना ने बताया कि आरोपितों के खुलासे और निरंतर पूछताछ रिपोर्ट के आधार पर, यह पता चला है कि वे सभी बांग्लादेशी हैं। भारत में अपनी पहचान के लिए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आधार कार्ड बनवाए हैं। आरोपितों की ओर से बताए गए पते को सत्यापित करने के लिए एक टीम तुरंत पश्चिम बंगाल भेजी गई। स्थानीय पूछताछ में पता चला कि आरोपितों में से एक धोलू शेख पिछले 14-15 वर्षों से दिए गए पते पर रह रहा था और बांग्लादेश से आया प्रवासी था। उसने फर्जी कागजात पर आधार कार्ड भी हासिल कर लिया था। कोलकाता नगर निगम के वार्ड नंबर 36 के पार्षद सचिन कुमार सिंह से भी एक रिपोर्ट प्राप्त की गई, जिन्होंने प्रस्तुत किया कि आरोपितों का वार्ड-36 में कोई पता या अस्तित्व नहीं है। इनके पते पर मतदाता सूची और भौतिक जांच के अनुसार, कोई रिकॉर्ड भी नहीं मिला। पुलिस आगे की जांच कर रही है।
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