उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि नई शिक्षा नीति सही दिशा में बहुत अच्छा कदम है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए तथा मूल भावना के साथ इसका क्रियान्वयन होना चाहिए। श्री नायडू ने आज बंगलूरू में मांउट कार्मेल कॉलेज के प्लेटिनम जुबली समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को महत्व दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए क्योंकि यह समझने में सरल तथा बोधगम्य होती है। उन्होंने विद्यार्थियों को अधिक से अधिक भाषाएं सीखने की सलाह दी। श्री नायडू ने नारी शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि जनसख्ंया में इनकी 50 प्रतिशत भागीदारी है। इन्हें सशक्तिकरण के लिए समान अधिकार, स्थान और अवसर प्रदान किए जाने चाहिए। सरकार को नारी शिक्षा को और सहयोग देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में नारी शिक्षा पर बल दिया जाता था। प्राचीन समय से ही भारत का शिक्षा में गौरवशाली इतिहास रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार कौशल विकास पर ध्यान दे रही है, जिससे हमारे युवा राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे। श्री नायडू ने कहा कि गरीबी और निरक्षरता के रूप में देश के सामने कुछ चुनौतियां हैं और सरकार को इनसे निपटना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि भारत, दुनिया में सर्वाधिक सहिष्णु देश है और देश में धर्मनिरपेक्षता किसी सरकार या किसी पार्टी के कारण सुरक्षित नहीं है बल्कि यह इसलिए है कि देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के खून में यह मौजूद है। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और राजस्थान की पूर्व राज्यपाल माग्रेट अल्वा भी उपस्थित थीं।
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