राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने समाज में नैतिक जीवन मूल्य में हो रहेपतन परचिंता व्यक्त की है। उन्होंने किशोर द्वारा माता की हत्या की घटना के प्रसंग में कहा कि हर नई तकनीक और अनुसंधान के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव होते हैं। यह परिवार और विद्यालय का दायित्व है कि वे बच्चों को जीवन में सकारात्मकता का दिग्दर्शन करायें। बच्चों को नकारात्मकता के विरूद्ध भारतीय संस्कारों और नैतिक मूल्यों का सुरक्षा कवच प्रदान करें। उन्होंने कहा कि जिस तरह स्वस्थ शरीर के लिए सभी अंगों का स्वस्थ होना जरूरी है। उसी तरह स्वस्थ समाज के लिए सभी वर्गों और समुदायों का विकास आवश्यक है। जरूरी है कि समाज का समर्थ और सक्षम वर्ग, वंचितों के विकास का दायित्व ग्रहण कर उनका सहयोग करें।
राज्यपाल पटेल, आई.ई.एस. पब्लिक स्कूल सीहोर के 5वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को विद्यालय के सभागार में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चे फूल की तरह कोमल और इनका मन मिट्टी की तरह नरम होता है। बाल-मन और मस्तिष्क पर माता-पिता और शिक्षकों के संस्कारों का सर्वाधिक प्रभाव होता है। बच्चा बड़ा होकर कैसा बनेगा, यह परिवार और स्कूल का वातावरण तय करता है। उन्होंने पालकों से अपेक्षा की कि वे बच्चों के सामने संयत भाषा और शुद्ध आचरण करें। पति-पत्नी में मतभेद अथवा मन-मुटाव होने पर भी बच्चों के सामने विवाद नहीं करें। बच्चों को स्कूल भेज कर यह समझना कि बच्चों के विकास की ज़िम्मेदारी केवल शिक्षकों की है, उचित नहीं है। पालकों को पढ़ाई और परीक्षा प्रबंधन में भी बच्चों का सहयोग करना चाहिए। बच्चों पर परीक्षा का दबाव नहीं बनाएँ। परीक्षा में सफलता के लिए नियमित पढ़ाई जरूरी है। इसके लिए स्कूल से आने के बाद,खेलने और खाने की व्यवस्थाओं के साथ ही विद्यालय की पढ़ाई को दोहराने और अगले दिन पढ़ाए जाने वाले विषयों को पढ़ कर स्कूल जाने को प्रेरित करें।
राज्यपाल पटेल ने मेधावी विद्यार्थियों, विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता बच्चों, विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों को पुरस्कृत किया। उन्होंने आँगनवाड़ी के बच्चों को फल,प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों को पठन-पाठन सामग्री वितरित की। राज्यपाल पटेल का नन्हे बच्चों ने स्वागत किया। विद्यालय की ओर से राज्यपाल का प्रतीक चिन्ह,शॉल, श्रीफल और पुष्प-गुच्छ भेंट कर सम्मान किया गया।
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति के.जी. सुरेश ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को विश्व गुरू के रूप में स्थापित करने का सुनहरा अवसर है। इस पहल की सफलता के लिए ज़रूरी है कि सभी स्तरों पर और हर व्यक्ति द्वारा अपना बेहतर योगदान दिया जाए। उन्होंने विद्यालय की तीव्र प्रगति की सराहना करते हुए विद्यालय द्वारा किए जा रहे समाज सेवा के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विद्यालय की यह पहल संवेदनशील भावी-पीढ़ी के निर्माण का सार्थक प्रयास है।
आई.ई.एस.विश्वविद्यालय के कुलाधिपति इंजीनियर बी.एस.यादव ने आई.ई.एस. पब्लिक स्कूल सीहोर की स्थापना और प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने विद्यालय द्वारा एक आँगनवाड़ी गोद लेने की घोषणा की। आई.ई.एस. विश्वविद्यालय की उपकुलाधिपति श्रीमती सुनीता सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक क्षेत्र में किए कार्यों तथा समूह की पर्यावरण, सामुदायिक विकास और समाज सेवा कार्यों के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में बताया। विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यपालन अधिकारी देवांश सिंह ने आभार माना।