मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पूर्व सैन्य अधिकारी अनुज कुमार यादव को डिजिटल अरेस्ट करके 98 लाख रुपये की साइबर ठगी करने के मामले में पुलिस ने दो और साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से चेक, चेकबुक, एटीएम कार्ड, क्यूआर कोड बरामद हुआ। इस मामले में पहले नौ साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया था। साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र के अनुसार मूलरूप से बलिया के मरगूपुर के रहने वाले सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट अनुज कुमार यादव सारनाथ थाना क्षेत्र के माधव नगर कालोनी में मकान बनवाकर रहते हैं। उन्होंने बीते चार दिसंबर को पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि बीते 11 नवंबर को सुबह 11 बजे उनके मोबाइल पर काल आई। कॉल करने वाले ने बताया कि उनका नाम नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस में आ गया है। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले की निगरानी खुद पूर्व मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ कर रहे हैं। इसके बाद एक व्यक्ति ने उसने पूर्व मुख्य न्यायाधीश बनकर बात की।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक व्यक्ति ने सीबीआई चीफ बनकर व्हाट्सएप वीडियो कालिंग के जरिए कई बार बात की। केस से नाम हटाने के लिए पूर्व सैन्य अधिकारी के पास मौजूद रुपयों की जांच करने के बहाने 98 लाख रुपये साइबर ठगों खुद के संचालित खातों में ट्रांसफर कर लिया था। पुलिस टीम ने उन बैंक खातों की जांच शुरू की जिनमें रुपये गए थे। इनमें जौनपुर के पूरेलला निवासी दिनेश कुमार और गढ़ा सैनी निवासी राकेश चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों ने बैंक खातों में भी पूर्व सैन्य अधिकारी के साथ हुई ठगी के रुपये गए थे। ठगों की गिरफ्तार करने वाली टीम में इस्पेक्टर विपिन कुमार, विजय कुमार यादव, दीनानाथ यादव, सब इंस्पेक्टर संजीव कन्नौजिया, सतीश सिंह, शैलेंद्र सिंह, हेड कांस्टेबल श्याम लाल गुप्ता, आलोक रंजन सिंह रहे। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि दोनों ने कई बैंक खाते फर्जी दूसरे के नाम से खुलवाए थे और उनका संचालन खुद कर रहे थे। खाता खुलवाने के लिए फर्जी आधार का भी इस्तेमाल करते थे। उन्हें पता था कि बैंकों में आफलाइन बैंक खाते खुलवाने पर आधार आदि दस्तावेजों की जांच गहनता से नहीं होती है। जिन लोगों के नाम से खाते खुलवाते थे उन्हें बताते थे कि वह एनजीओ का संचालन करते हैं। उनके बैंक खातों में एनजीओ के रुपये आएंगे। बदले में उन्हें कमीशन मिलेगा। साइबर ठग बैंक खाता खुलवाने के लिए फर्जी आधार का भी इस्तेमाल करते हैं। साफ्टवेयर के जरिए दूसरों के आधार की कापी करके फर्जी नाम-पता से बैंक खाते खुलवाते हैं। पुलिस से बचने के लिए पता दूसरे प्रदेश का देते हैं और खाता दूसरे प्रदेश में खुलवाते हैं। खाता के साइबर ठगी में इस्तेमाल करने के बाद उसका इस्तेमाल लंबे समय तक बंद कर देते हैं। पुलिस को जांच में पता चला कि साइबर ठग रुपयों को वियतनाम में बैठे ठगों के जरिए गेमिंग एप और क्रिप्टोकैरेंसी में निवेश करते हैं। इसके बाद उन्हें कई बार में हासिल करते हैं। इस तरह उनके रुपये और वह खुद पुलिस के हाथ नहीं लगते हैं।
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