मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। पटना स्थित मेदांता अस्पताल के आईसीयू से गुरुवार अपराह्न उन्हें आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया गया। बिहार में शिक्षा-परीक्षा और रोजी-रोजगार के मुद्दे पर पीके दो जनवरी से आमरण अनशन पर हैं। उसी क्रम में सात जनवरी को प्रशांत किशोर को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। इस बीच गुरुवार को प्रेस-वार्ता कर जसुपा के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने पुलिस-प्रशासन पर ज्यादती का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दुर्भावना से प्रेरित होकर मामले दर्ज हुए हैं और ऐसी-वैसी धाराएं लगाई गई हैं।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रशांत किशोर के अधिवक्ता अमित कुमार ने कहा कि छह जनवरी को बिना कस्टडी का कागज लिए ही पुलिस पीके को बेउर जेल ले गई। जेल अधीक्षक ने उन्हें अंदर रखने से मना कर दिया। आश्चर्यजनक है कि जेल ले जाने के लिए जब उन्हें कोर्ट परिसर से निकाला गया तब सुनवाई चल ही रही थी। उनके विरुद्ध लगाई गई धाराओं में 191(3) भी है, जो दंगा के दोषी और घातक हथियार रखने से संबंधित है। गांधी मैदान में अनशन-स्थल पर किसी के हाथ में एक छड़ी तक नहीं थी, फिर भी यह धारा लगाई गई। जयप्रभा मेदांता हाॅस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डाॅ. रवि शंकर सिंह, पूर्व राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता वाईवी गिरी ने मंगलवार की रात नौ बजे जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर के स्वास्थ्य की जानकारी दी थी। डॉ. रवि शंकर ने उस समय कहा था कि आगे क्या होगा कहना मुश्किल है, आगे चीजें कॉम्प्लीकेटेड हो सकती हैं। उन्होंने बताया, हम उनसे कह रहे हैं कि खाना लें, लेकिन वे अपने निर्णय पर कायम हैं। अभी आईवी के जरिए न्यूट्रीशन व दवाईयां दे रहे हैं। अभी स्थिति ठीक है, लेकिन हम बार-बार उनसे कह रहे हैं कि खाना खाएं, ताकि हमारा काम आसान हो सके।
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