मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गुरुवार को फ्रांस के रूएन में 12वीं सदी में निर्मित गिरजाघर के शिखर में आग लग गई। गाथिक नोट्रे-डेम डी रूएन के 120 मीटर ऊंचे शिखर में आग लगने के कारण का अब तक पता नहीं चल पाया है। यह फ्रांस का सबसे ऊंचा चर्च और पूरी दुनिया के सबसे ऊंचे गिरिजाघरों (चर्च) में से एक है। यह अपने तीन टावरों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें से प्रत्येक का निर्माण एक अलग शैली में किया गया है। फ्रांसीसी मध्ययुगीन गाथिक वास्तुकला का रत्न कहे जाने वाले रूएन के गिरजाघर को 19वीं सदी में कलाकार क्लाउड मोनेट द्वारा बार-बार चित्रित किया गया था। रूएन मेयर रासिग्नोल ने एक्स पोस्ट में कहा कि गिरजाघर को खाली कराने के साथ ही आग पर काबू पा लिया गया। इसके चारों ओर सुरक्षा घेरा लगा दिया गया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, फ्रांस में 12वीं सदी में निर्मित एक गिरिजाघर के शिखर पर भीषण आग लग गई। यह घटना फ्रांस के रूएन शहर की है। यहां 12वीं सदी में निर्मित नोट्रे-डेम डी रूएन गिरिजाघर के शिखर में आग लग गई। रुएन शहर अधिकारी कैरोलीन डुटार्टे ने बताया कि गिरिजाघर के शिखर को ढकने वाले एक तिरपाल में आग लग गई थी और अब आग पर काबू पा लिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि गिरिजाघर में पुनर्निमाण कार्य चल रहा था, इस वजह से शिखर को तिरपाल से ढका गया था। डुटार्टे के अनुसार इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ है और गिरिजाघर को भी अधिक नुकसान नहीं पहुंचा है।
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