बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व हुआ बाघों की वंशावृद्धि का केन्द्र

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बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व अपनी सघनता और सहजता से बाघ दर्शन के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ की ‘बाघिन तारा’ पर्यटकों के लिए आँख का तारा बनी हुई है। हाल ही में बाघिन ‘तारा’ ने 4 शावकों को जन्म दिया है। ‘तारा’ बाघिन अपने 4 नवजात शावकों के साथ अठखेलियाँ करती पर्यटकों आकर्षण का केन्द्र बन चुकी है। इसने रिजर्व क्षेत्र के खितौली गेट के पास डमडमा नाले और उसके आस-पास अपनी टेरिटरी बना रखी है। ‘तारा’ ने पहले 3 शावकों को जन्म दिया था, जिन्हें बाघ ने मार दिया था।

बाघिनों ने अपने-अपने समय पर बाँधवगढ़ को बाघों के गढ़ के रूप में दुनिया भर में प्रसिद्धि दिलाई है। बाँधवगढ़ की स्थापना से लेकर अब तक बाघिन सीता, पुरानी चक्रधरा, झोरझरा, लंगड़ी, कनकटी, पटिहा, राजबहेरा, सोलो के बाद जूनियर कनकटी और अब ‘तारा’ बाघिन ने प्रसिद्धि की ऊँचाइयों को स्पर्श किया है। ‘तारा’ बाघिन पुरानी डमडमा की संतान है। लम्बी-चौड़ी कद-काठी और यूज-टू स्वभाव होने से ‘तारा’ की ओर पर्यटक बरबस ही खिंचे चले आते हैं।

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की बाघिनों द्वारा की गई वंशावृद्धि का विशेष योगदान है। बांधवगढ़ में बाघों के प्रजनन, रहवास और भोजन के मामले में सबसे बेस्ट हैबिटेट मौजूद है। इसी वजह से बाघों की सबसे घनी आबादी यहीं देखी जा सकती है।

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