मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के दो जवानों के खिलाफ नए भारतीय न्याय संहिता के तहत अपनी पहली एफआईआर दर्ज की है। गुरुवार को केंद्रीय एजेंसी ने बताया कि तिहाड़ जेल में बंद एक शख्स की रिहाई में मदद के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में यह केस दर्ज किया है। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता ने ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ले ली है। सीबीआई ने बताया कि बुधवार शाम को दिल्ली के मौरिस नगर स्थित नारकोटिक्स सेल में तैनात हेड कांस्टेबल रवींद्र ढाका और परवीन सैनी के खिलाफ नए कानून 61(2) के तहत आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वतखोरी के प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देशभर में एक जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो चुके हैं। ओडिशा, महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई राज्यों में नए कानून- भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। ताजा घटनाक्रम में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत पहली प्राथमिकी दर्ज की है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज इस प्राथमिकी में 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। एफआईआर के मुताबिक रिश्वत की एवज में आरोपी पुलिस अधिकारियों ने तिहाड़ जेल में बंद कैदी की रिहाई में मदद करने का भरोसा दिलाया था। बुधवार शाम को दर्ज प्राथमिकी में मौरिस नगर नारकोटिक्स सेल में तैनात हेड कॉन्सटेबल रवींद्र ढाका और परवीन सैनी के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश से संबंधित बीएनए 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत रिश्वतखोरी के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया। शिकायत दर्ज कराने वाले शख्स के मुताबिक तिहाड़ जेल में बंद उसके भाई की रिहाई में मदद के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। रिपोर्ट के मुताबिक जेल में बंद शख्स के पास से एनआरएक्स ड्रग्स बरामद किया गया था। इन दवाओं को योग्य डॉक्टर के पर्चे के बिना दुकानों के काउंटर पर नहीं खरीदा जा सकता।
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