प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज देश के साथ MannKiBaat में कहा कि, गणतंत्र दिवस समारोह में अनेक पहलुओं की काफी प्रशंसा हो रही है। जैसलमेर से पुल्कित ने मुझे लिखा है कि 26 जनवरी की परेड के दौरान कर्तव्य पथ का निर्माण करने वाले श्रमिकों को देखकर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि, कानपुर से जया ने लिखा है कि उन्हें परेड में शामिल झांकियों में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को देखकर आनंद आया। इस परेड में पहली बार हिस्सा लेने वाली Women Camel Riders और CRPF की महिला टुकड़ी की भी काफी सराहना हो रही है। उन्होंने बताया कि, जनजातीय समुदायों से जुड़ी चीजों के संरक्षण और उन पर रिसर्च के प्रयास भी होते हैं। जनजातीय समुदायों के लिए काम करने वाले कई महानुभावों को पद्म पुरस्कार मिले हैं। उन्होंने आगे कहा कि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हम भारतीयों को इस बात का गर्व भी है कि हमारा देश ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ भी है। लोकतंत्र हमारी रगों में है, हमारी संस्कृति में है। सदियों से यह हमारे काम का अभिन्न हिस्सा रहा है। स्वभाव से हम एक ‘डेमोक्रेटिक सोसाइटी’ हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, आंध्र पर्देश के नांदयाल जिले के रहने वाले के.वीं रामा सुब्बा रेड्डी जी ने Millets के लिए अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़ दी। मां के हाथों से बने Millets के पकवानों का स्वाद कुछ ऐसा रचा-बसा था कि इन्होंने अपने गांव में बाजरे की प्रोसेसिंग यूनिट ही शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि, महाराष्ट्र में अलीबाग के पास केनाड गांव की रहने वाली शर्मीला ओसवाल जी पिछले 20 सालों से Millets की पैदावार में यूनिक तरीके से योगदान दे रही हैं। वो किसानों को Smart agriculture की training दे रही हैं। उनके प्रयासों से सिर्फ Millets की उपज बढ़ी है। उन्होंने आगे कहा कि, ओडिशा की Milletpreneurs आजकल खूब सुर्खियों में हैं। आदिवासी जिले सुंदरगढ़ की करीब डेढ़ हजार महिलाओं का Self Help Group, Odisha Millets Mission से जुड़ा है। उन्होंने आगे बताया कि, कर्नाटक के कलबुर्गी में Aland Bhootai Millets Farmers Producer Company ने पिछले साल Indian Institute of Millets Research की देखरेख में काम शुरू किया। यहां के खाकरा, बिस्कुट और लड्डू लोगों को भा रहे हैं। उन्होंने कहा कि, गोवा में इस महीने कुछ ऐसा हुआ, जे बहुत सुर्खियों में है। गोवा में हुआ ये Event है- Purple Fest. दिव्यांगजनों के कल्याण को लेकर यह अपने आप में एक अनूठा प्रयास था। उन्होंने बताया कि, आज पूरी दुनिया में Climate-change और Biodiversity के संरक्षण की बहुत चर्चा होती है। इस दिशा में भारत के ठोस प्रयासों के बारे में हम लगातार बात करते रहे हैं। हमारे देश में अब Ramsar Sites की कुल संख्या 75 हो गई है, जबकि 2014 के पहले देश में सिर्फ 26 Ramsar Sites थी।
News Source : (Twitter) @BJP4India
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