मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि मध्यस्थता न्याय प्रदान करने का एक अनिवार्य अंग है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता न केवल विचाराधीन विशिष्ट मामले में बल्कि बड़ी संख्या में मुकदमों के बोझ को कम करके अन्य मामलों में भी न्याय दिलाने में तेजी ला सकती है। नई दिल्ली में मध्यस्थता पर राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रपति ने कहा कि मध्यस्थता 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता संवाद, समझ और सहयोग को बढ़ावा देती है।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि पिछले दो दशकों में मध्यस्थता ने विवादों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि 2016 से 2025 के बीच मध्यस्थता के जरिए सात लाख 57 हजार से अधिक मामलों का निपटारा किया गया। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के बावजूद मध्यस्थता अभी भी घरों और गांवों तक नहीं पहुंच पाई है क्योंकि यह अभी भी हाशिये पर है। सम्मेलन में कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बी.आर. गवई और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी भी शामिल हुए।
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