महाराष्‍ट्र में शिवसेना और एकनाथ शिंदे के बीच कानूनी लडाई शुरू

0
236

महाराष्‍ट्र में शिवसेना और एकनाथ शिंदे के नेतृत्‍व में उसके बागी गुट के बीच कानूनी लडाई शुरू हो गई है। शिवसेना के वकील और उच्‍चतम न्‍यायालय के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता देवदत्‍त कामथ ने बताया कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्‍व में पार्टी ने संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा दो – एक -क के अंतर्गत 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है।

कल विधानसभा के उपाध्‍यक्ष नरहरि जिरवाल ने एकनाथ शिंदे सहित 16 विधायकों को सदस्‍यता के अयोग्‍य ठहराने का नोटिस भेजा। इन्‍हें कल शाम साढे पांच बजे तक जवाब देने को कहा गया है। इन विधायकों ने नोटिस का जवाब देने के लिए उपाध्‍यक्ष से और समय मांगा है।

एडवोकेट कामथ ने इन विधायकों को अयोग्‍य ठहराए जाने के आधार को स्‍पष्‍ट करते हुए बताया कि यदि कोई व्‍यक्ति स्‍वेच्‍छा से पार्टी की सदस्‍यता छोडता है तो उसे अयोग्‍य घोषित किया जा सकता है। उन्‍होंने इस संबंध में उच्‍चतम न्‍यायालय के कई फैसलों का उल्‍लेख किया और कहा कि शीर्ष न्‍यायालय कह चुका है कि यदि कोई विधायक सदन के बाहर पार्टी विरोधी गतिविधि करता है तो उसे अयोग्‍य ठहराया जा सकता है।

श्री कामथ ने कहा कि शिवसेना ने कई  बैठकें बुलाईं और इन विधायकों को शामिल होने को कहा लेकिन ये नहीं आए। उन्‍होंने यह भी कहा कि विधायकों का महाराष्‍ट्र से बाहर भाजपा-शासित किसी राज्‍य में जाना, भाजपा नेताओं से मिलना,  महाराष्‍ट्र सरकार को गिराने की कोशिश करना और सरकार के खिलाफ पत्र लिखना संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा दो-एक (क) का स्‍पष्‍ट उल्‍लंघन है। उन्‍होंने यह भी कहा कि बागी विधायक सदन में दो-तिहाई बहुमत का दावा कर रहे हैं और मानते हैं कि वे इससे  अयोग्‍य ठहराए जाने से बच सकते हैं। श्री कामथ ने कहा कि उनका यह स्‍पष्‍टीकरण गलत है क्‍योंकि दो-तिहाई बहुमत की अवधारणा तब लागू होती है जब विधायकों का कोई गुट किसी अन्‍य राजनीतिक दल में शामिल होता है। इस मामले में एकनाथ शिंदे के गुट का किसी अन्‍य राजनीतिक दल मे विलय नहीं हुआ है। विधायकों के इस दावे पर कि उन्‍हें अयोग्‍य घोषित करना उपाध्‍यक्ष के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, श्री कामथ ने कहा कि अध्‍यक्ष की अनुपस्थिति में दसवीं अनुसूची के अंतर्गत उपाध्‍यक्ष के पास अध्‍यक्ष के सभी अधिकार होते हैं।

उपाध्‍यक्ष ने असंतुष्‍टों द्वारा उनके खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव को इस आधार पर अस्‍वीकार कर दिया है कि इसे कोरियर के माध्‍यम से एक अनाधिकृत व्‍यक्ति द्वारा दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि वे जब तक किसी दस्‍तावेज की प्रमाणिकता की जांच नहीं कर लेते तब तक इसे स्‍वीकार नहीं कर सकते।

courtesy newsonair

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here