मुंबई : विख्यात भजन सम्राट अनूप जलोटा ने DailyAawaz की TeamDA से विशेष चर्चा करते हुए अपने जीवन की संगीत यात्रा के अनेक रोचक प्रसंगों को बताया। DailyAawaz से विशेष साक्षात्कार के दौरान, देश-विदेश में भजन सम्राट के नाम से विख्यात अनूप जलोटा ने बताया कि, जब वे बहुत छोटे थे तब एक भजन कार्यक्रम के दौरान अपने पिता पं. पुरूषोत्तम दास जलोटा के पीछे बैठे हुए थे। पिताजी मंच पर भजन गा रहे थे किन्तु पीछे से अनूप जी की आवाज नहीं आ रही थी। इस दौरान उनके पिताजी ने उन्हें एक-दो बार पीछे पलटकर देखा भी, परन्तु अनूप जी मौन थे और आंख बद करके लगातार, उनकी आंखों से आंसू गिर रहे थे।
DailyAawaz के साथ इस घटना का यथार्थ जिक्र करते हुए भजन सम्राट और गजल गायक अनूप जलोटा जी ने बताया कि, इस कार्यक्रम के बाद पिताजी ने मुझसे पूछा, कि तुम मौन क्यों थे और रो क्यों रहे थे? तब मैंने अपने पिताजी को बताया कि, मैं क्या करता? मेरे सामने साक्षात हनुमान जी बैठे थे और मैं उनके दर्शन से इतना अभिभूत था कि मुझे न कुछ दिख रहा था और न कुछ समझ आ रहा था। बस मैं हनुमान जी को देखकर प्रफुल्लित था और निरन्तर मेरी आंख से आंसू गिरते ही जा रहे थे। DailyAawaz के मंच पर अपने बचपन की इस घटना का जिक्र कर अनूप जलोटा जी थोडा भावुक भी हो गए थे। उन्होंने बताया कि, लंबी सांस का वरदान उन्हें हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही प्राप्त हुआ। DailyAawaz की TeamDA को अनूप जलोटा ने बताया कि, केवल 7 वर्ष की आयु से ही उन्होंने कंसर्ट प्रारंभ कर दिए थे और 20 वर्ष की आयु में ही वे मुंबई पहुँच गए थे। उन्होंने लोगों से मिले प्रेम को ही अनमोल पुरूस्कार बताया है।
उन्होंने DailyAawaz के साथ अपने जीवन की संगीत यात्रा और भजनों को लेकर अनेक प्रसंगों पर चर्चा की और DailyAawaz के मंच से कई लोकप्रिय और हृदय स्पर्शी भजन भी सुनाए।
विदित हो कि, वे आज तक करीबन 5000 लाइव कंसर्ट कर चुके हैं और उनके करीबन 200 एलबम भी रिलीज हो चुके हैं। 70 वर्ष की आयु में उनकी स्फूर्ति, शालीनता और भजन की आवाज बेमिसाल है। उन्होंने DailyAawaz के साथ चर्चा में बताया कि, उनके पिताजी को और उनको भी पद्मश्री सम्मान मिला है। यह एक गौरव की बात है क्योंकि ऐसे दो ही घराने हैं जिनमें पिता पुत्र को सम्मान मिला है। वे इसका श्रेय प्रभु कृपा को देते हैं।
अनूप जलोटा जी ने DailyAawaz के मंच पर अपने दिए गए साक्षात्कार के दौरान बडी ही रोचक बातें बताईं और कई प्रसिद्ध भजन जिनमें, ऐसी लागी लगन, मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो, ठुमक चले रामचन्द्र बाजत पैजनियाँ, अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं, रंग दे चुनरिया आदि भी सुनाए।
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