सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन की मांग को लेकर सुनवाई से मना कर दिया है। मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, लिव इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने इसे अव्यवहारिक बताया है। याचिका में श्रद्धा वालकर और निक्की यादव हत्याकांड का हवाला दिया गया था। इसमें कहा गया था कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं।
मीडिया सूत्रों की माने तो, लिव इन रिलेशनशिप को लेकर गाइडलाइन बनाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि क्या आप इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं या लोगों को लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रहने देना चाहते हैं? इस मामले में केंद्र सरकार का क्या रोल है। ऐसी याचिकाओं पर जुर्माना लगाना चाहिए। दरअसल, लिव इन रिलेशनशिप में हो रही हत्याओं का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है और इसमें लिव इन में रहने वाले जोड़ों का पंजीकरण अनिवार्य करने की मांग की गई है। सरकार को कड़े नियम और गाइडलाइन बनाने के आदेश देने की मांग की गई है। नियमों पर अमल सुनिश्चित करने का मेकेनिज्म विकसित करने की भी प्रार्थना की गई है। लिव इन रिलेशनशिप में लगातार बढ़ते धोखे, झांसे और हिंसक अपराधों को रोकने के लिए ये याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि श्रद्धा कभी निक्की यादव और कभी कोई लेकिन अब कोई और नहीं होना चाहिए।
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