मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष-2025 में भारत के वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में छह दशमलव चार प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है और वित्त वर्ष 2026 में यह वृद्धि छह दशमलव तीन से छह दशमलव आठ प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है। आज संसद के दोनों सदनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया।
आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि घरेलू अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है, जिसमें संतुलित राजकोषीय समेकन और स्थिर निजी खपत है। इसमें उल्लेख किया गया है कि देश ने कृषि और सेवा क्षेत्र द्वारा समर्थित स्थिर आर्थिक विकास प्रदर्शित किया है। रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन और अनुकूल कृषि परिस्थितियों के कारण ग्रामीण मांग में सुधार देखा जा रहा है।
सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कमजोर वैश्विक मांग और घरेलू मौसमी परिस्थितियों के कारण विनिर्माण क्षेत्र को दबाव का सामना करना पड़ा। स्थिर घरेलू मांग को दर्शाते हुए निजी खपत स्थिर रही। सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि राजकोषीय अनुशासन और सेवा व्यापार अधिशेष और स्वस्थ प्रेषण वृद्धि द्वारा समर्थित मजबूत बाहरी संतुलन ने व्यापक आर्थिक स्थिरता में योगदान दिया।
सर्वेक्षण ने देश की मध्यम अवधि की विकास क्षमता को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर के संरचनात्मक सुधारों और विनियमन के माध्यम से देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने पर भी जोर दिया। सर्वेक्षण में बताया गया है कि 2011-12 में स्थिर मूल्यों पर देश की जीडीपी वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में छह दशमलव सात प्रतिशत और दूसरी तिमाही में पांच दशमलव चार प्रतिशत बढ़ी है। इसका मतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि छह प्रतिशत होगी।
वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कृषि विकास स्थिर रहा, जबकि दूसरी तिमाही में तीन दशमलव पांच प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई। खरीफ उत्पादन, सामान्य से अधिक मानसून और पर्याप्त जलाशय स्तर ने कृषि विकास को समर्थन दिया। वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में औद्योगिक क्षेत्र में छह प्रतिशत की वृद्धि हुई और पहली तिमाही में आठ दशमलव तीन प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई।
सेवा क्षेत्र वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में सात दशमलव एक प्रतिशत की वृद्धि के साथ अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखता है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि राजकोषीय अनुशासन में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024 में पांच दशमलव चार प्रतिशत से घटकर अप्रैल से दिसंबर 2024 में चार दशमलव नौ प्रतिशत हो गई है।
खाद्य कीमतों में दबाव आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों और मौसम की स्थिति में अनिश्चितताओं जैसे कारकों से प्रेरित है। सब्जियों की कीमतों में मौसमी कमी और खरीफ की फसल की आवक के साथ वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आने की संभावना है।
रोजगार के मोर्चे पर, सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2023-24 की वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण-पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर 2017-18 में छह प्रतिशत से लगातार घटकर 2023-24 में तीन दशमलव दो प्रतिशत हो गई है।
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News & Image Source: newsonair.gov.in