श्री कृष्ण के चरणारविन्द: दायें चरण में ग्यारह और बायें चरण में आठ शुभ मंगल चिन्ह

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श्री कृष्ण के चरणों में शुभ चिन्ह हैं, दाहिने चरण में ग्यारह और बाएँ चरण में आठ मंगलकारी चिन्ह हैं।

श्री श्यामसुन्दर का दायाँ-चरण: श्री श्याम सुन्दर के दाये चरण में “ग्यारह मंगल चिन्ह” हैं:-
(जौ, चक्र, छत्र, ऊर्ध्वरेखा, कमल, ध्वज, अंकुश, वज्र, अष्टकोण, स्वास्तिक, जम्बू फल)

पादांगुष्ठ के मूल में एक “जौ ” का चिन्ह है उसके नीचे एक ‘चक्र’, चक्र के नीचे एक ‘छत्र’ है, एक ‘उर्ध्वरेखा’ पाँव के मध्य में प्रारंभ होती है, माध्यम के मूल पर एक रुचिर ‘कमल’ कुसुम है, कमल के नीचे ‘ध्वज’ है, कनिष्ठा के नीचे एक ‘अंकुश’ है, उसके नीचे एक ‘वज्र’ है, एड़ी पर एक ‘अष्टभुज’ है, जिसके चारो ओर चार प्रमुख दिशाओ में चार ‘स्वास्तिक’ है, हर दो स्वास्तिक के बीच में एक ‘जम्बू फल’ है।

१. जौ- जौ का दाना व्यक्त करता है, कि भक्त जन राधा-कृष्ण के पदार विन्दों कि सेवा कर समस्त भोगों ऐश्वर्य प्राप्त करते हैं। एक बार उनका पदाश्रय प्राप्त कर लेने पर भक्त कि अनेकानेक जन्म-मरण कि यात्रा घट कर जौ के दानों के समान बहुत छोटी हो जाती है।

२. चक्र- यह चिन्ह सूचित करता है, कि राधा-कृष्ण के चरण कमलों का ध्यान काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मात्सर्य रूपी छ शत्रुओं का नाश करता है। ये तेजस तत्व का प्रतीक है, जिसके द्वारा राधा गोविंद भक्तों के अंतःकरण से पाप तिमिर को छिन्न-भिन्न कर देते हैं।

३. छत्र– छत्र यह सिद्ध करता है, कि उनके चरणों कि शरण ग्रहण करने वाले भक्त भौतिक कष्टों कि अविराम वर्षा से बचे रहते हैं।

४. उर्ध्व रेखा– जो भक्त इस प्रकार राधा-श्याम के पद कमलों से लिपटे रहते हैं, मानो वे उनकी जीवन रेखा हो वे दिव्य धाम को जाएँगे।

५. कमल- सरस सरसिज राधा गोविंद के चरणविन्दो का ध्यान करने वाले मधुकर सद्रश भक्तों के मन में प्रेम हेतु लोभ उत्पन्न करता है।

६. ध्वज– ध्वज उन भक्तों को भय से बचाता और सुरक्षा करता है, जो उनके चरण सरसिज का ध्यान करते हैं, विजय का प्रतीक है।

७. अंकुश- अंकुश इस बात का द्योतक है, कि राधा गोविन्द के चरणों का ध्यान भक्तों के मन रूपी गज को वश में करता है, उसे सही मार्ग दिखाता है।

८. वज्र- वज्र यह बताता है, कि श्री कृष्ण के पद-पंकज का ध्यान भक्तों के पूर्व पापों के कर्म फलो रूपी पर्वतो को चूर्ण-चूर्ण कर देता है।

९. अष्टकोण- यह बताता है, जो श्री कृष्ण के चरणों कि आराधना करते हैं, वे अष्ट दिशाओं से सुरक्षित रहते हैं।

१०. स्वास्तिक- जो व्यक्ति श्री कृष्ण के चरणों को अपने मन में संजो के रखता है, उसका कभी अमंगल नहीं होता।

११. जंबू फल– वैदिक स्रष्टि वर्णन के अनुसार जंबू द्वीप के निवासियों के लिए श्री कृष्ण के लिए राजीव चरण ही एक मात्र आराध्य विषय है।

श्री श्याम सुन्दर के बायाँ-चरण: श्री श्याम सुन्दर के बाये चरण में “आठ शुभ चिन्ह” हैं:-
(‘शंख’, ‘संकेंद्री वृत्त’, ‘धनुष’, ‘गाय का खुर’, ‘कुम्भ’, ‘त्रिकोण’, ‘अर्धचंद्र’, ‘मीन’।)

पादांगुष्ट के मूल पर एक ‘शंख’ है, मध्यमा के नीचे दो ‘संकेंदो वृत्त’ शोभायमान हैं, उसके नीचे एक ‘प्रत्यंचा रहित धनुष’ है। धनुष के नीचे ‘गाय के खुर’ का चिन्ह अंकित है, उसके नीचे चार ‘कुम्भो’ से घिरा एक ‘त्रिकोण’ है, त्रिकोण के नीचे एक ‘अर्धचंद्र’ है, और एड़ी पर एक ‘मीन’ है।

१. शंख- शंख विजय का प्रतीक है यह बताता है, कि राधा गोविंद के चरणकमलों कि शरण ग्रहण करने वाले व्यक्ति सदैव दु:ख से बचे रहते हैं, और अभय दान प्राप्त करते हैं।

२. संकेंद्री वृत्त– यह दर्शाता है, श्री कृष्ण के चरण सर्वत्र विद्यमान हैं, श्री कृष्ण हर वस्तु के भीतर हैं।

३. धनुष- यह चिन्ह सूचित करता है, कि एक भक्त का मन उनके चरण रूपी लक्ष्य से टकराता है, तब उसके फलस्वरूप प्रेम अति वर्धित हो जाता है।

४. गाय का खुर- यह इस बात का सूचक है, कि जो व्यक्ति श्री कृष्ण के चरणारविन्दों कि पूर्ण शरण लेता है, उनके लिए भाव सागर गो-खुर के चिन्ह में विद्यमान पानी के समान छोटा एवं नगण्य हो जाता है। उसे वह सहज ही पार कर लेता है।

५. कुम्भ- श्रीकृष्ण के चरण-कमल शुद्ध सुधारस का स्वर्ण कलश धारण किये और शरणागत जीव अबाध रूप से उस सुधा रस का पान कर सके।

६. त्रिकोण- कृष्ण के चरणों कि शरण ग्रहण करने वाले भक्त त्रिकोण कि तीन भुजाओ द्वारा त्रितापों और त्रिगुण रूपी जाल से बच जाते हैं।

७. अर्धचंद्र– यह बताता है, कि जिस प्रकार शिवजी जैसे देवताओं ने राधा गोविंद के चरणारविन्दों के तलवो से अपने शीश को शोभित किया है। इसी प्रकार जो भक्त इस प्रकार राधा और कृष्ण के पदाम्बुजों द्वारा अपने शीश को सुसज्जित करते हैं, वे शिवजी के समान महान भक्त बन जाते हैं।

८. मीन– जिस प्रकार मछली जल के बिना नहीं रह सकती, उसी प्रकार भक्तगण क्षण भर भी राधा श्याम-सुन्दर के चरणाम्बुजों के बिना नहीं रह सकते।

इस प्रकार श्रीकृष्ण जी के चरण “उन्नीस मंगल चिन्हों” से सुसज्जित हैं।

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