सहकारिता का सिद्धांत भारत के साथ विश्व को एक आर्थिक मॉडल देने का काम कर सकता है – अमित शाह

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कल सहकारिता के 100वें अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि, “आज हम 100वाँ अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस मना रहे हैं, एक विचार और विचारधारा के लिए 100 वर्ष का समय युवा अवस्था का होता है। सहकारिता का सिद्धांत भारत के साथ पूरे विश्व को एक सफल व टिकाऊ आर्थिक मॉडल देने का काम कर सकता है। इसके लिए हमें नई ऊर्जा और संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। हमें सहकारिता के विचार को टेक्नोलॉजी और प्रोफेशनलिज्म के साथ जोड़कर इसे 100 साल और आगे ले जाने की दिशा में काम करना है। मोदी जी के मार्गदर्शन में हम PACS को समृद्ध और प्रासंगिक बनाने के लिए हर संभव सुधार कर रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार नरेन्द्र मोदी जी ने करोड़ों गरीबों की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर उनमें आगे बढ़ने की नई आशा व आकांक्षा जगाई है। और सहकारिता क्षेत्र ही इन करोड़ों लोगों की आशा व आकांक्षाओं को पूरा कर सकता है।”

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, “सहकारिता आंदोलन को सिर्फ सहकारिता का सिद्धांत ही लंबा जीवन दे सकता है। सहकारिता के सिद्धांतों को छोड़ना ही PACS के Defunct होने का मूल कारण है। इसलिए सहकारिता आंदोलन को प्रासंगिक बनाकर लंबा जीवन देने के लिए इससे जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को सहकारिता की भावना को आत्मसात करना चाहिए। दुनिया ने पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों मॉडल को अपनाया लेकिन ये दोनों ही extreme मॉडल हैं…सहकारी मॉडल मध्यम मार्ग है और यह भारत के लिए सबसे उपयुक्त है। और मोदी सरकार इस सर्वस्पर्शी व सर्वसमावेशी सहकारी मॉडल से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है। भारत में ऑर्गेनिक खेती की अपार संभावनाएं हैं। वैश्विक बाजारों में भारत के ऑर्गेनिक उत्पादों की बेहतर कीमत के लिए उनकी विश्वसनीयता बढ़ाना जरूरी है। इसलिए भारत सरकार अमूल को नोडल एजेंसी बनाकर हर जिले में मिट्टी व ऑर्गेनिक उत्पादों के सर्टिफिकेशन हेतु एक लेबोरेटरी बनाने जा रही है।”

News & Image Source : (Twitter) @AmitShah

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