हजारीबाग: डिटेंशन सेंटर से दो महिलाओं सहित 3 बांग्लादेशी फरार, पुलिस प्रशासन में हड़कंप

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हजारीबाग: डिटेंशन सेंटर से दो महिलाओं सहित 3 बांग्लादेशी फरार, पुलिस प्रशासन में हड़कंप

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हजारीबाग स्थित जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा (जेपी कारा) के डिटेंशन सेंटर से रविवार रात दो महिलाओं सहित तीन बांग्लादेशी नागरिकों के फरार होने की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह डिटेंशन सेंटर से फरारी की अब तक की तीसरी घटना है, जिसने पुलिस और जेल प्रशासन की लापरवाही को उजागर कर दिया है। फरार होने वालों में 29 वर्षीय रीना खान उर्फ फीना देवी (निवासी-ढाका), 24 वर्षीय अख्तर खुशी (निवासी-चटगांव) और 22 वर्षीय मोहम्मद नजमुल हक (निवासी-सानिधभांगा, मोरलेगंज) शामिल हैं। तीनों के खिलाफ भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने और बिना वैध पासपोर्ट रहने का मामला दर्ज था। ये विभिन्न जेलों रांची, जामताड़ा और दुमकामें बंद थे, जिन्हें बाद में हजारीबाग के डिटेंशन सेंटर में स्थानांतरित किया गया था।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, घटना के समय डिटेंशन सेंटर में आठ सुरक्षाकर्मी तैनात थे और कैदियों को कांटेदार बाड़े वाले कक्षों में रखा गया था, इसके बावजूद तीनों का फरार हो जाना चौकाने वाला है। अब तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे निगरानी और सुरक्षा घेरे को चकमा देकर कैसे फरार हुए। चौंकाने वाली बात यह है कि फरार हुए आरोपितों की तस्वीर तक पुलिस या जेल प्रशासन द्वारा जारी नहीं की गई है। इस मामले में जेपी कारा और पुलिस प्रशासन एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नजर आ रहे हैं। इस मामले को लेकर लोहसिंघना थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और जांच शुरू कर दी गई है। घटना की जानकारी मिलते ही उपायुक्त शशि प्रकाश, एसडीपीओ सदर और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति की समीक्षा की। जानकारी के अनुसार, तीनों विदेशी नागरिक अपनी सजा पूरी कर चुके थे और उन्हें बांग्लादेश वापस भेजने की प्रक्रिया चल रही थी। भारत सरकार लगातार बांग्लादेश दूतावास से संपर्क में थी, लेकिन बांग्लादेश की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण उनकी रिहाई में देरी हो रही थी। इस कारण से उन्हें जेल से हटाकर जेपी कारा परिसर स्थित डिटेंशन सेंटर में रखा गया था। वहीं, इस घटना ने एक बार फिर यहां की सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी उजागर करती है। इससे पहले भी दो बांग्लादेशी और एक रोहिंग्या नागरिक यहां से फरार हो चुके हैं, लेकिन किसी को अब तक दोबारा पकड़ा नहीं जा सका है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर चूक की जिम्मेदारी किस पर डालता है और फरार विदेशी नागरिकों की तलाश में कितनी तेजी और सफलता दिखाता है।

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