प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज विश्व शांति के लिए कृष्णगुरु एकनाम अखंड कीर्तन में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, कृष्णगुरु सेवाश्रम में जुटे आप सभी संतों और भक्तों को मेरा सादर प्रणाम। कृष्ण गुरु एकनाम अखंड कीर्तन का यह आयोजन पिछले एक महीने से चल रहा है। मुझे खुशी है कि ज्ञान, सेवा और मानवता की जिस प्राचीन परंपरा को कृष्ण गुरु जी ने आगे बढ़ाया वह आज भी निरंतर गतिमान है। उन्होंने कहा कि, मेरी इच्छा थी कि मैं इस अवसर पर असम आकर आप सबके साथ इस कार्यक्रम में शामिल होऊं, मैंने कृष्ण गुरु जी की पावन तपोस्थली पर आने का पहले भी कई बार प्रयास किया है लेकिन शायद मेरे प्रयासों में कोई कमी रह गई जिस कारण से मैं वहां नहीं आ पाया। उन्होंने बताया कि, मेरी कामना है कि कृष्ण गुरु मुझे यह आशीर्वाद और अवसर दें कि आने वाले समय में मैं वहां आकर आप सबको नमन और दर्शन कर सकूं।
पीएम मोदी ने बताया कि, कृष्ण गुरु जी की विलक्षण प्रतिभा, उनका आध्यात्मिक बोध और उनसे जुड़ी हैरान कर देने वाली घटनाएं हम सभी को निरंतर प्रेरणा देती हैं। उन्होंने आगे कहा कि, उन्होंने हमें सिखाया है कि कोई भी काम और कोई भी व्यक्ति न छोटा होता है और न ही बड़ा होता है। बीते 8-9 वर्षों में देश ने सबके साथ और सबके विकास के लिए समर्पण भाव से काम किया है। उन्होंने बताया कि, आज विकास की दौड़ में जो जितना पीछे है, देश के लिए वो उतनी ही पहली प्राथमिकता है। यानी जो वंचित है, उसे देश आज वरीयता दे रहा है। उन्होंने कहा कि, इस बार के बजट में पर्यटन से जुड़े अवसरों को बढ़ाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। देश में 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स को विशेष अभियान के तहत विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, भारत की सांस्कृतिक विरासत की सबसे बड़ी अहमियत, सबसे बड़ा मूल्यवान खजाना हमारे नदी तटों पर ही है, क्योंकि हमारी पूरी संस्कृति की विकास यात्रा नदी तटों से जुड़ी हुई है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, जब असम के शिल्प की बात होती है तो यहां के ‘गोमोशा’ का भी जिक्र अपने आप हो जाता है। मुझे खुद ‘गोमोशा’ पहनना बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि, महिलाओं की आय उनके सशक्तिकरण का माध्यम बने इसके लिए 2023-24 के बजट में ‘महिला सम्मान बचत योजना’ शुरू की गई है। इस योजना के तहत महिलाओं को बचत पर विशेष रूप से अधिक ब्याज का फायदा मिलेगा। उन्होंने बताया कि, कृष्ण गुरु कहा करते थे- नित्य भक्ति के कार्यों में विश्वास के साथ अपनी आत्मा की सेवा करें। अपनी आत्मा की सेवा में ही समाज की सेवा है। समाज के विकास के इस मंत्र में बड़ी शक्ति समाई हुई है। उन्होंन आगे कहा कि, हमने देखा है कि कैसे देश ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया और फिर जन भागीदारी ने इसे सफल बना दिया। डिजिटल इंडिया अभियान की सफलता के पीछे भी सबसे बड़ी वजह जनभागीदारी ही है। उन्होंने आगे कहा कि, पारंपारिक तौर पर हाथ से किसी औजार की मदद से काम करने वाले कारीगरों को विश्वकर्मा कहा जाता है। देश ने पहली बार इन पारंपरिक कारीगरों के कौशल को बढ़ाने का संकल्प लिया है। इनके लिए ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना’ शुरू की जा रही है।
News & Image Source : (Twitter) @BJP4India
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