हर महीने 10 हजार डॉग बाइट केस, इंदौर में 9 साल में दोगुनी हुई घटनाएं

0
36

इंदौर: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इंदौर में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। रोजाना 150 से ज्यादा लोग कुत्तों के हमले (डॉग बाइट) के मामलों में अस्पताल पहुंच रहे हैं। इस गंभीर समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की है। कोर्ट के इस कदम से शहरवासियों में राहत की उम्मीद जगी है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने आदेश का स्वागत करते हुए इंदौर के लिए भी ऐसे ही निर्देश जारी करने की मांग की है। नगर निगम शेल्टर हाउस बनाकर कुत्तों को वहां स्थानांतरित करने की तैयारी कर रहा है। लाल अस्पताल के डॉक्टर आशुतोष शर्मा ने बताया कि रोज 150 से अधिक केस आ रहे हैं और यह घटते बढ़ते रहते हैं। प्रशासन ने कई अस्पतालों में डॉग बाइट के इंजेक्शन की व्यवस्था की है लेकिन मामले तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं।

इंदौर डॉग बाइट के मामले में प्रदेश में तीसरे पायदान पर है। यहां हर रोज औसतन 134 लोगों को कुत्ते अपना निशाना बना रहे हैं। एक दिन पहले ही बीएसएफ के छह जवानों को एक पागल कुत्ते ने अपना शिकार बनाया।

शहर में हर महीने लगभग 10 हजार लोगों को स्ट्रीट डॉग शिकार बना रहे हैं। सिर्फ इंदौर के प्रमुख हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक के आंकड़ों की बात करें तो औसतन 4 हजार 20 लोगों को आवारा कुत्तों ने शिकार बनाया है। यानी रोजाना 134 लोगों पर स्ट्रीट डॉग ने हमला किया है।

2 साल पहले 2023 में यह आंकड़ा कम था। 2023 तक हर महीने स्ट्रीट डॉग इंदौर में एवरेज 3 हजार 600 और रोजाना 120 लोगों को अपना शिकार बना रहे थे। अब यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।

हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक (लाल अस्पताल) से मिले आंकड़ों के अनुसार इंदौर में जनवरी से लेकर जुलाई 2025 तक 28 हजार 142 लोगों को स्ट्रीट डॉग अपना शिकार बना चुके है। इसमें 28 अन्य वेक्सिन सेंटर और 350 नर्सिंग व प्राइवेट हॉस्पिटल का डेटा शामिल नहीं है।

9 साल में स्ट्रीट डॉग की संख्या दोगुनी इंदौर की अधिकांश कॉलोनियों और चौराहों पर देर रात निकलना अब और खतरनाक हो चुका है। पिछले 9 साल में स्ट्रीट डॉग के काटने की संख्या दोगुनी हो गई है। वहीं हर साल स्ट्रीट डॉग के शिकार लोगों की संख्या में 20% तक की बढ़ोतरी हो रही है। इनके काटने के बाद लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने के लिए एमटीएच स्थित हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक पहुंचते हैं।

आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2025 से 31 जुलाई 2025 तक इंदौर में 28 हजार 142 लोग आवारा कुत्तों के हमले से घायल हुए हैं। जबकि 9 साल पहले 2016 में यह आंकड़ा 20 हजार 455 था।

यानी 2016 में सालभर में जितने स्ट्रीट डॉग ने लोगों को शिकार बनाया था उससे 8 हजार ज्यादा लोगों को 2025 में स्ट्रीट डॉग सिर्फ 7 महीने में ही अपना शिकार बना चुके हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो 9 साल में इंदौर में डॉग बाइट के केस डबल हो गए हैं।

इंदौर तीसरे, रतलाम पहले पायदान पर इंदौर डॉग बाइट के मामले में प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) द्वारा राष्ट्रीय रैबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत भारत सरकार के निर्देश पर मध्य प्रदेश के 6 बड़े शहरों इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और रतलाम में डाग बाइट्स के मामलों का सर्वे किया गया। यह सर्वे साल 2024 और जनवरी से जून 2025 के मध्य में किया गया है।

इस सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार छह शहरों में राजधानी भोपाल में डाग बाइट्स के सबसे कम मामले दर्ज हुए, जबकि रतलाम इस मामले में पहले स्थान पर रहा। वहीं उज्जैन दूसरे, इंदौर तीसरे, जबलपुर चौथे और ग्वालियर पांचवें स्थान पर रहा। खास बात यह है कि एनएचएम की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2025 से जून 2025 तक इंदौर में 30 हजार 304 लोगों स्ट्रीट डॉग अपना शिकार बना चुके है।

इंदौर में भी डॉग्स के लिए शेल्टर होम

महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है “सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश केवल दिल्ली-एनसीआर के लिए है. इंदौर नगर निगम सुप्रीम कोर्ट में इंटरवेंशन एप्लिकेशन दायर करेगा. इंदौर की स्थिति भी न्यायालय के समक्ष रखी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया जाएगा कि इंदौर जैसे बड़े शहरों के लिए भी ऐसे ही दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. इसके लिए नगर निगम शेल्टर हाउस बनाकर वहां डॉग्स को शिफ्ट करने के लिए पूरी तरह तैयार है.”

इंदौर में डॉग बाइट के मामले इसलिए बढ़े

दरअसल, इंदौर में डॉग्स द्वारा आम लोगों को काटने के मामले इसलिए भी अन्य शहरों की तुलना में ज्यादा है क्योंकि यहां सार्वजनिक स्थानों पर भोजन सामग्री अथवा कचरा डालना प्रतिबंधित है. ऐसी स्थिति में डॉग्स को आहार मिल पाना आमतौर पर मुश्किल रहता है, यही स्थिति अन्य मांसाहारी पक्षियों और पशुओं के साथ है. कई बार इस स्थिति में डॉग्स ज्यादा उग्र होने के कारण लोगों पर हमले कर देते हैं. इंदौर में हाल ही में एक बच्चे पर डॉगी के झुंड ने ऐसी ही स्थिति में हमला कर दिया था, जबकि परीक्षा देने जा रही एक छात्रा को घायल कर दिया था.

30 हजार डॉग्स की नसबंदी बड़ी चुनौती

दरअसल, इंदौर में प्रतिदिन 600 से 800 लोगों को प्रतिदिन डॉगी के काटने के चलते बीते दिनों इंदौर जिला प्रशासन ने इनकी नसबंदी का अभियान चलाने के निर्देश दिए. इसमें नगर निगम के अलावा स्वयंसेवी संगठन ओर पशुपालन विभाग की टीम को मैदान में उतारा था, जो प्रतिदिन शहर में 25 से 30 नसबंदी कर पा रही है. हालांकि जिला प्रशासन ने 175 नसबंदी प्रतिदिन का टारगेट तय किया है, लेकिन नगर निगम की टीम इतनी संख्या में डॉग्स को पकड़ पाने की स्थिति में भी नहीं है.

डॉग बाइट के मामले में इंदौर प्रदेश में तीसरे नंबर पर

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में डॉग द्वारा काटने की घटनाओं को लेकर हाल ही में नेशनल हेल्थ मिशन की एक रिपोर्ट आई है. इसके अनुसार भोपाल डॉग बाइट्स के मामले में 6वें नंबर पर है. वहीं अन्य 5 जिलों में भोपाल से ज्यादा डॉग बाइट के मामले सामने आए है. नेशनल हेल्थ मिशन ने राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत मध्य प्रदेश के 6 शहरों में सर्वे किया था. इस सर्वे में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन और रतलाम शहर शामिल थे. डॉग बाइट्स के मामले में प्रदेश में इंदौर की तीसरी रैंक है, जबकि टॉप पर रतलाम है दूसरे नंबर पर उज्जैन का नंबर है. ग्वाालियर चौथे नंबर पर है.

रोजाना पहुंचते हैं 130 से 150 लोग इलाज कराने हुकुम चंद पॉली क्लिनिक से मिली जानकारी के अनुसार रोजाना 130 से 135 लोग डॉग बाइट का इलाज कराने पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो शहर के विभिन्न निजी अस्पतालों में भी रोजाना 140 से 150 लोग कुत्तों के काटने का इलाज कराने पहुंचते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो इंदौर में रोजाना लगभग 280 से 300 लोग आवारा कुत्तों के हमले का शिकार हो रहे हैं।

बता दें, हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक (लाल अस्पताल) में कुत्ते के काटने का वैक्सीन 10 रुपए की पर्ची पर नि:शुल्क में लगाया जाता है। हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक के डॉक्टर का कहना है कि इंदौर में लगभग 10 हजार लोग हर महीने स्ट्रीट ड्रॉग का शिकार हो रहे हैं। हर माह क्लिनिक आने वालों की संख्या ही 4 हजार से ज्यादा है। वहीं हमारे जैसे 28 और वैक्सीन सेंटर है वहीं 350 नर्सिंग व प्राइवेट हॉस्पिटल में भी रोजाना वैक्सीन लगाया जाता है।

हर माह 2 से 3 लोगाें को हो रहा रैबीज हुकुम चंद पॉलीक्लिनिक के डॉ. आशुतोष शर्मा ने बताया कि हर माह हमारे पास रैबीज के दो से तीन केस आ रहे हैं। डॉग बाइट ही नहीं अगर स्क्रैच भी होता है तो सीधे वैक्सीन लगवाना चाहिए। इस माह हमारे पास 2 हजार 367 नए केस डॉग बाइट के रजिस्टर्ड हो चुके है।

डॉग की पापुलेशन कम नहीं होती तब तब केस में कमी देखने को नहीं मिलेगी। इसमें भी 10 से 12 साल का समय लगेगा। जब तक हमें अपना और जानवरों का व्यवहार कंट्रोल करके समाज को रहना चाहिए। वहीं डॉग बाइट के केस कम करने का सबसे बेहतर उपाय अभी यहीं है कि हम शेल्टर और फूड जोन बनाए।

मोहल्ले में सबसे ज्यादा शिकार होते हैं लोग इंदौर में एक शेल्टर में काम करने वाले विशाल कारवाल ने बताया कि आजकल पशु प्रेमी अपने मोहल्ले के आवारा कुत्तों को खाना खिला देते हैं और उनका ख्याल रख लेते हैं। लेकिन इनकी संख्या इतनी बढ़ गई है कि यह रात के साथ ही दिन में भी अकेले लोगों पर हमला करने से नहीं झिझकते। अब यह कुत्ते बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं पर हमला करने के साथ ही दोपहिया वाहन चालक को सबसे ज्यादा अपना शिकार बना रहे हैं। वहीं कॉलोनी के लोग नगर निगम से इनकी स्ट्रीट डॉग की शिकायत करते हुए तो कुछ पशु प्रेमी उल्टा निगम के खिलाफ ही खड़े हो जाते है। जिससे निगम की टीम इन्हें बिना साथ लिए ही रवाना हो जाती है।

#dailyaawaz #newswebsite #news #newsupdate #hindinews #breakingnews #headlines #headline #newsblog #hindisamachar #latestnewsinhindi

Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest News in Hindi, Breaking News in Hindi, ताजा ख़बरें

News & Image Source: khabarmasala

Google search engine

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here