आज गुवाहाटी में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लोक मंथन कार्यक्रम के तीसरे संस्करण का उद्घाटन किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि वाद विवाद और चर्चा सुशासन की आत्मा है और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने के लिए स्वतंत्र विचारों की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा है कि मौजूदा हालात में दूसरे के विचारों के प्रति असहिष्णु होना आम बात हो गई है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से समझौता नहीं हो सकता और इसकी जिम्मेदारी प्रबुद्ध समाज के लोगों पर है कि वे दबे, कुचले लोगों के विचारों का संरक्षण करें। उन्होंने कहा कि लोक मंथन कार्यक्रम जैसी गतिविधियां देश की संस्कृति और मूल्यों की प्रतीक हैं। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में हो रही यह वार्ता हमारे पारम्परिक ज्ञान और विरासत को भारत के दूसरे हिस्सों तक पहुंचाएगी। इस अवसर पर असम के राज्यपाल जगदीश मुखी और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस वर्ष के लोक मंथन कार्यक्रम का विषय था – लोक परम्परा। शनिवार को कार्यक्रम का समापन होगा, जिसमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान मुख्य अतिथि होंगे।
Courtesy : newsonair.gov.in
Image Source : Twitter @VPSecretariat
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