मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सुरक्षित, विश्वसनीय और समावेशी एआई के लिए भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की दिशा में, आईआईटी मद्रास में सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल एआई (सीईआरएआई) इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत इंडियाएआई मिशन के सहयोग से भारत-एआई इम्पैक्ट समिट 2026 से पहले, 11 दिसंबर को चेन्नई में सम्मेलन से पहले एक संगोष्ठी आयोजित कर रहा है। यह संगोष्ठी 10 दिसंबर की शाम को औपचारिक उद्घाटन के साथ शुरू होगी, इसके बाद 11 दिसंबर को पूरे दिन सम्मेलन से पूर्व संगोष्ठी और एक हाइब्रिड, क्लोज-डोर वर्किंग ग्रुप मीटिंग होगी। विकासशील देश में पहली बार आयोजित होने वाला भारत-एआई इम्पैक्ट समिट 2026, 15 से 20 फरवरी, 2026 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित होगा। शिखर सम्मेलन से पहले की इस संगोष्ठी में तमिलनाडु सरकार के उद्योग, निवेश संवर्धन और वाणिज्य मंत्री थिरु डॉ. टीआरबी राजा, आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर कामकोटि वी., डलास में टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्रीराम नटराजन और आईआईटी मद्रास के डब्ल्यूएसएआई के प्रोफेसर एवं प्रमुख तथा सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई कार्य समूह के अध्यक्ष प्रोफेसर बलरामन रविंद्रन सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियां भाग लेंगी। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के वरिष्ठ अधिकारी भी उद्योग, शिक्षा, नागरिक समाज और सरकार के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ उपस्थित रहेंगे।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नैतिक, सुरक्षित और समावेशी एआई के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर आधारित यह संगोष्ठी एआई सुरक्षा और शासन सिद्धांतों को व्यवहार में लाने पर केंद्रित होगी। एआई प्रणालियों के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के अभिन्न अंग बनने के साथ निष्पक्षता, जवाबदेही और दुरुपयोग को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, जिससे ऐसे ढांचों की जरूरत पर ज़ोर दिया जा रहा है जो मापनीय, प्रवर्तनीय और विविध वैश्विक संदर्भों के अनुकूल हों। प्रोफेसर बलरामन रविन्द्रन की अध्यक्षता में सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई कार्य समूह का लक्ष्य पारदर्शिता, विश्वसनीयता और सार्वजनिक विश्वास पर आधारित एक परितंत्र को आगे बढ़ाकर इस अंतर को पाटना है, जहां नवाचार जिम्मेदारी से आगे बढ़ता है और एआई के लाभों को समान रूप से साझा किया जाता है। मुख्य भाषणों, विशेषज्ञ पैनल और कार्य सत्रों के माध्यम से, यह संगोष्ठी विकासशील देशों के लिए एक एआई सुरक्षा कॉमन्स स्थापित करने के तरीकों की पड़ताल करेगा। इससे साझा डेटासेट, मानक और शासन संसाधन तैयार होंगे जो सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय एआई विकास को सक्षम बना सकें। चर्चाएं उत्तरदायी एआई सिद्धांतों को व्यावहारिक शासन और नियामक मॉडलों में रूपांतरित करने पर भी केंद्रित होंगी जिन्हें विविध सांस्कृतिक, कानूनी और तकनीकी संदर्भों में लागू किया जा सकता है। सीमा-पार सहयोग को बढ़ावा देकर और सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के हितधारकों को एक साथ लाकर, इस संगोष्ठी का उद्देश्य क्षमता निर्माण और ऐसे एआई ढाँचों का समर्थन करना है जो वैश्विक स्तर पर अंतर-संचालनीय होने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी आधारित और मापनीय हों। इन विचार-विमर्शों से प्राप्त समझ और आम सहमति सीधे तौर पर भारत-एआई इम्फैक्ट समिट, 2026 के दृष्टिकोण, रोडमैप और परिणामों को प्रभावित करेगी। इससे विश्वास, सुरक्षा और समावेशन पर आधारित वैश्विक एआई परितंत्र के संचालन में भारत के बढ़ते नेतृत्व को और बल मिलेगा।
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