मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मणिपुर में प्रतिनियुक्ति पर तैनात 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हिमांशु कुमार को भ्रष्टाचार के आरोपों में बड़ी राहत मिली है। विभागीय जांच में उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है। विजिलेंस की जांच में उन्हें पहले ही बरी किया जा चुका है। इसके बाद अब हिमांशु कुमार का डीआईजी बनने का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, 2020 में गौतमबुद्धनगर के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हिमांशु कुमार सहित अन्य अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों में यह कहा गया था कि हिमांशु कुमार और उनके साथी अधिकारियों ने स्थानीय पत्रकारों और बिल्डरों से पैसे लेकर अधिकारियों के तबादले और तैनातियों में अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। इसके बाद शासन ने मामले की जांच के लिए विजिलेंस विभाग को जिम्मेदारी सौंप दी थी। साथ ही इन सभी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई थी।
मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विजिलेंस जांच के दौरान हिमांशु कुमार को पहले ही आरोपों से बरी कर दिया गया था। अब विभागीय जांच में भी उन्हें दोषमुक्त कर दिया गया है, जबकि अन्य चार आईपीएस अधिकारियों, जिन पर इसी मामले में आरोप थे, पहले ही बरी हो चुके हैं। विभागीय जांच में हिमांशु कुमार को बेदाग साबित किए जाने के बाद उनके डीआईजी बनने का रास्ता भी साफ हो गया है। गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि हिमांशु कुमार की फाइल अब पंचम तल से गृह विभाग को भेज दी गई है और जल्द ही उन्हें डीआईजी के पद पर पदोन्नति दी जाएगी। यह पदोन्नति उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि विभागीय जांच के चलते उनकी पदोन्नति रुक गई थी। यह मामला 2020 से चल रहा था, जब एसएसपी वैभव कृष्ण ने आरोप लगाए थे। इस आरोप के बाद से ही हिमांशु कुमार का करियर प्रभावित हो रहा था। अब इस जांच के बाद उन्होंने अपनी सफाई दे दी है और उनका भविष्य एक बार फिर से उज्जवल दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि आरोप लगाने वाले एसएसपी वैभव कृष्ण भी अब पदोन्नति प्राप्त करके डीआईजी बन चुके हैं।
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