काशी : आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, “अखिल भारतीय शिक्षा समागम का ये आयोजन उस पवित्र धरती पर हो रहा है। जहां आजादी से पहले देश की इतनी महत्वपूर्ण यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। ये समागम आज ऐसे समय हो रहा है, जब देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अमृत काल में देश के अमृत संकल्पों को पूरा करने की बड़ी जिम्मेदारी हमारी शिक्षा व्यवस्था और युवा पीढ़ी पर है। काशी को भी मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं, क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र मार्ग ज्ञान को ही माना गया है। इसलिए शिक्षा और शोध का, विद्या और बोध का मंथन, जब सर्व विद्या के प्रमुख केंद्र काशी में होगा, तो इससे निकलने वाला अमृत अवश्य देश को नई दिशा देगा।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहाँ पहले केवल सरकार ही सब करती थी वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है। नए भारत के निर्माण के लिए नई व्यवस्थाओं का निर्माण, आधुनिक व्यवस्थाओं का समावेश उतना ही जरूरी है। जो पहले कभी भी नहीं हुआ, जिनकी देश पहले कभी कल्पना भी नहीं करता था, वो आज के भारत में हकीकत बन रहे हैं। आजादी के बाद शिक्षा नीति में थोड़ा बहुत बदलाव हुआ, लेकिन बहुत बड़ा बदलाव रह गया था। अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था कभी भी भारत के मूल स्वभाव का हिस्सा नहीं थी और न हो सकती।”
उन्होंने आगे कहा कि, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य आधार शिक्षा को संकुचित सोच के दायरे से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के विचारों से जोड़ना है। हमारे देश में मेधा की कभी कमी नहीं रही। लेकिन दुर्भाग्य से हमें ऐसी व्यवस्था बनाकर दी गई थी, जिसमें पढ़ाई का मतलब नौकरी ही माना गया। नई नीति में पूरा फोकस बच्चों की प्रतिभा और चॉइस के हिसाब से उन्हें skilled बनाने पर है। हमारे युवा skilled हों, confident हों, practical और calculative हो, शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है। आप सबको वर्तमान को संभालना है, आपके पहले जो करके गए हैं उसको आगे बढ़ाना है। लेकिन आज जो काम कर रहे हैं, उनको भविष्य के लिए ही सोचना होगा, व्यवस्थाएं भी भविष्य के लिए ही विकसित करनी होंगी।”
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