देश के उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू के राज्यसभा में फेयरवेल स्पीच को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि, “आज हम राज्यसभा सभापति महोदय वेंकैया नायडू जी को उनके कार्यकाल की समाप्ति पर, उन्हें धन्यवाद देने के लिए एकत्र हुए हैं। इस सदन के लिए ये बहुत भावुक पल है। सदन के कितने ही ऐतिहासिक पल आपकी गरिमामई उपस्थिति से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि, आजादी के अमृत महोत्सव में आज जब देश अपने अगले 25 वर्षों की नई यात्रा शुरू कर रहा है। तब देश का नेतृत्व भी एक तरह से एक नए युग के हाथों में हैं। पीएम मोदी ने कहा कि, हम जानते हैं कि इस बार हम ऐसी 15 अगस्त मना रहे हैं, जब देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, स्पीकर और प्रधानमंत्री सब के सब वो लोग हैं, जो आजाद भारत में पैदा हुए और सब के सब बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “आदरणीय सभापति महोदय आप तो देश के एक ऐसे उपराष्ट्रपति हैं, जिसने अपनी सभी भूमिकाओं में हमेशा युवाओं के लिए काम किया है। आपने सदन में भी हमेशा युवा सांसदो को आगे बढ़ाया और उन्हें प्रोत्साहन दिया। व्यक्तिगत रूप से मेरा ये सौभाग्य रहा है कि मैंने बड़े निकट से आपको अलग अलग भूमिकाओं में देखा है। आपकी बहुत सारी भूमिकाएं ऐसी भी रही, जिसमें आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने का भी मुझे सौभाग्य मिला है। उपराष्ट्रपति और सदन के सभापति के रूप में आपकी गरीमा और निष्ठा, मैंने आपको अलग अलग जिम्मेदारियों में बड़ी लगन से काम करते हुए देखा है। आपने कभी भी किसी काम को बोझ नहीं माना। आपने हर काम में नए प्राण फूंकने का प्रयास किया है। उन्होंने आगे कहा कि, आपकी किताबों में आपकी वो शब्द प्रतिभा झलकती है, जिसके लिए आप जाने जाते हैं। आपके one liners, win liners होते हैं। उनके बाद कुछ कहने की जरूरत ही नहीं रह जाती।”
पीएम मोदी ने कहा कि, “कैसे कोई अपनी भाषा की ताकत के रूप में सहजता से इस सामर्थ्य के लिए जाना जाए और उस कौशल से स्थितियों को बदलने की सामर्थ्य रखे, ऐसे आपके सामर्थ्य को मैं बधाई देता हूं। आपने दक्षिण में छात्र राजनीति करते हुए अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। तब लोग कहते थे कि जिस विचारधारा से आप जुड़े थे, उसका और उस पार्टी का निकट भविष्य में तो दक्षिण में कोई सामर्थ्य नजर नहीं आता है। लेकिन आप उस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के शीर्ष पद तक पहुंचे। उन्होंने आगे कहा कि, आप कहते हैं कि मातृभाषा आंखों की रोशनी की तरह होती है, और दूसरी भाषा चश्मे की तरह होती है। ऐसी भावना हृदय की गहराई से ही बाहर आती है। आपकी मौजूदगी में सदन की कार्यवाही के दौरान हर भारतीय भाषा को विशिष्ट अहमियत दी गई है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “वेंकैया जी की मौजूदगी में सदन की कार्यवाही के दौरान हर भारतीय भाषा को विशिष्ट अहमियत दी गई है। आपने सदन में सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ने के लिए काम किया। सदन में हमारी सभी 22 शेड्यूल भाषाओं में कोई भी सदस्य बोल सकता है, उसका इंतजाम आपने किया। आपकी ये प्रतिभा और निष्ठा आगे भी सदन के लिए एक गाइड के रूप में हमेशा काम करेगी। कैसे संसदीय और शिष्ट तरीके से भाषा की मर्यादा में कोई भी अपनी बात प्रभावी ढंग से कह सकता है। इसके लिए आप प्रेरणा पुंज बने रहेंगे। आपके कार्य, आपके अनुभव आगे सभी सदस्यों को जरूर प्रेरणा देंगे। अपने विशिष्ट तरीके से आपने सदन चलाने के लिए ऐसे मानदंड स्थापित किये हैं, जो आगे इस पद पर आसीन होने वालों को प्रेरित करते रहेंगे। आपके मार्गदर्शन में राज्यसभा ने अपने मानकों को पूरी गुणवत्ता से पूरा किया है। आप माननीय सदस्यों को निर्देश भी देते थे, उन्हें अपने अनुभवों का लाभ भी देते थे और अनुशासन को ध्यान में रखते हुए प्यार से डांटते भी थे।”
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