आज इम्फाल में असम राइफल्स के मुख्यालय में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों के साथ बातचीत की। उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, पूर्वी कमान के कमांडर और सेना के अन्य शीर्ष अधिकारी भी थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को घुसपैठ की रोकथाम के उपायों और इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिए भारत-म्यामां सीमा पर किये जा रहे सीमा प्रबंधन कार्यों की जानकारी दी गई।
जवानों को सम्बोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कठिन क्षेत्र और मौसम की चुनौतियों का सामना करते हुए मणिपुर की सुरक्षा व्यवस्था सुधारने में साहस और निष्ठा से अपना कर्तव्य निभाने वाले अधिकारियों और सैनिकों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और असम राइफल्स के सैनिकों के बीच खड़े होना बड़े गर्व की बात है।
रक्षा मंत्री ने रैड शील्ड डिवीजन की स्थापना के बाद से ही 1971 के युद्ध, श्रीलंका में भारतीय शांति सेना की भूमिका और वर्तमान भूमिका में इसके योगदान की सराहना की। उन्होंने पिछले 7 दशकों में असम राइफल्स की शानदार भूमिका और आंतरिक सुरक्षा में उनके महान योगदान, भारत-म्यामां सीमा की सुरक्षा तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र को राष्ट्र की मुख्य धारा में जोडने के लिए उसकी भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इसीलिए असम राइफल्स को पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों का मित्र और पूर्वोत्तर का प्रहरी माना जाता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेनाओं से पूर्ण समर्पण के साथ राष्ट्रीय ध्वज को ऊंचा रखने को कहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीमाएं सुरक्षित होने पर ही देश अपनी पूर्ण क्षमता से सफलता हासिल कर सकता है। रक्षा मंत्री के साथ बातचीत में रेड शील्ड डिवीजन और असम राइफल्स के 1 हजार से अधिक सैनिकों ने भाग लिया।
Courtesy : newsonair.gov.in
Image Source : Twitter @rajnathsingh
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