मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इसरो ने उपग्रहों की दूसरी बार डॉकिंग कर फिर कमाल किया है। जहां दुनिया के अधिकतर देश एक बार भी डॉकिंग करने में सफल नहीं हो सके। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने स्पैडेक्स मिशन के तहत दूसरी बार डॉकिंग का प्रदर्शन कर साबित किया कि इस तकनीक में भारत को विशेषज्ञता हासिल हो गई है। यह डॉकिंग तकनीक स्वदेशी रूप से विकसित की गई है और इसे भारतीय डॉकिंग सिस्टम नाम दिया गया है। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को इस उपलब्धि के लिए इसरो को बधाई दी। भारत ने इससे पहले 16 जनवरी को दो उपग्रह चेजर और टारगेट को जोड़कर पहली बार डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की थी औ यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया। भारत से पहले केवल अमेरिका, रूस और चीन ने डॉकिंग क्षमता प्रदर्शित की थी।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारत ने 13 मार्च को इसरो ने अनडॉकिंग को प्रक्रिया भी सफलतापूर्वक पूरी की थी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उपग्रहों की दूसरी डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। उन्होंने याद दिलाया कि पीएसएलवी-सी60/ स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पैडेक्स) मिशन 30 दिसंबर, 2024 को लांच किया गया था। इसके बाद उपग्रहों को डॉक और अनडॉक किया गया था। अगले दो सप्ताह में और प्रयोग करने की योजना है। दो उपग्रहों या अंतरिक्षयानों के एक दूसरे से जुड़ने को डॉकिंग और अंतरिक्ष में जुड़े दो अंतरिक्षयानों के अलग होने को अनडॉकिंग कहते हैं। अंतरिक्ष में देश के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को अपने बलबूते हासिल करने के लिए डॉकिंग क्षमता बेहद जरूरी है। इन लक्ष्यों में चंद्रमा से नमूने लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएसएस) का निर्माण शामिल है।
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