ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये करने की मांग, पेंशनधारकों ने की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात

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ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन 7500 रुपये करने की मांग, पेंशनधारकों ने की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की पेंशन योजना के दायरे में आने वाले पेंशनधारकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने महंगाई भत्ते के साथ न्यूनतम पेंशन 7,500 रुपये मासिक किये जाने समेत अन्य मांगों को लेकर शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) 95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति (एनएसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री से मुलाकात की। बैठक के बाद राउत ने कहा कि वित्त मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि हमारी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। राउत के अनुसार, ‘यह आश्वासन हमें उम्मीद देता है। सरकार को आगामी बजट में 7,500 रुपये न्यूनतम पेंशन और महंगाई भत्ता की घोषणा करनी चाहिए। इससे कम कुछ भी वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक जीवन देने में विफल होगा।’

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्री सीतारमण वर्ष 2025-26 के लिए आम बजट एक फरवरी को संसद में पेश करेंगी। राउत ने मुलाकात से पहले संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय और राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू), निजी संगठनों, और देशभर के कारखानों से जुड़े 78 लाख से अधिक पेंशनधारकों की दुर्दशा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पेंशनधारक सात-आठ साल से महंगाई भत्ता के साथ-साथ न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये करने और पेंशनधारकों तथा उनके जीवनसाथी के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। राउत ने दावा किया कि सरकार द्वारा 2014 में 1,000 रुपये न्यूनतम पेंशन की घोषणा के बावजूद अभी भी 36.60 लाख से अधिक पेंशनभोगी इससे कम राशि प्राप्त कर रहे हैं। आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों को समान किस्त आधारित पर्सनल लोन खंड में अनिवार्य रूप से निश्चित ब्याज दर के उत्पाद पेश करने होंगे। समान मासिक किस्त (ईएमआइ) आधारित पर्सनल लोन खंड पर फ्लोटिंग ब्याज दर को रीसेट करने पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) में यह भी कहा गया है कि परिपत्र सभी समान किस्त आधारित व्यक्तिगत ऋणों को कवर करता है, भले ही ब्याज दर किसी बाहरी बेंचमार्क या आंतरिक बेंचमार्क से जुड़ी हो। ऋणों की मंजूरी के समय, वार्षिक ब्याज दर/वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर), जैसा भी लागू हो, उसे ऋण समझौते में प्रकट किया जाना चाहिए। एफएक्यू में यह भी बताया गया है कि बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं (आरई) को उधारकर्ता के साथ कब और कितनी बार संवाद करना चाहिए। ऋण की अवधि के दौरान, बाहरी बेंचमार्क दर के कारण ईएमआइ/अवधि में किसी भी वृद्धि को सूचित किया जाना चाहिए। ऋण लेने वाले को त्रैमासिक विवरण प्रदान करना होगा, जिसमे कम से कम आज तक वसूले गए मूलधन और ब्याज, ईएमआइ राशि, शेष ईएमआइ संख्या और ऋण की अवधि के लिए वार्षिक ब्याज दर की जानकारी देनी होगी।

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