उज्जैन: मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उज्जैन में पिछले साल विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के लॉन्च के बाद अब विक्रमादित्य वैदिक ऐप भी लॉन्च होने जा रहा है। यह ऐप न केवल समय देखने के लिए, बल्कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक, पंचांग की दूसरी बारीकियों जैसे मांगलिक मुहूर्त, काल गणना, और अन्य धार्मिक व ज्योतिषीय जानकारी देने का भी काम करेगा। इस ऐप का उद्घाटन भारत के गृह मंत्री अमित शाह के हाथों होने की संभावना है। एप को गुजरात और उत्तर प्रदेश की टीमों ने मिलकर बनाया है। इसे एंड्रॉइड और IOS वर्जन पर भी चलाया जा सकेगा। खास बात ये है कि एप पूरी तरह मुफ्त होगा, जो दुनिया की करीब 189 भाषाओं में चलेगा।
विक्रमादित्य वैदिक ऐप के प्रमुख फीचर्स
पंचांग की जानकारी
इस ऐप में आपको हर दिन का पंचांग मिलेगा, जिसमें सूर्योदय, सूर्यास्त, शुभ मुहूर्त, चंद्रमा की स्थिति, और अन्य धार्मिक और ज्योतिषीय जानकारियाँ शामिल होंगी।
मांगलिक कार्य और काल गणना
ऐप में आप मांगलिक कार्य और काल की गणना भी देख सकेंगे, जिससे आप अपने जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सही समय का चुनाव कर सकते हैं।
ग्रह-नक्षत्रों की जानकारी
ऐप में आने वाले समय में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति और उनका प्रभाव भी देखने को मिलेगा। इससे लोग अपनी दैनिक गतिविधियों और जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों को ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से निर्धारित कर सकेंगे।
सभी प्रमुख भाषाओं में उपलब्ध
यह ऐप भारत और दुनिया के करीब 189 भाषाओं में उपलब्ध होगा, जिससे इसे हर वर्ग के लोग आसानी से इस्तेमाल कर सकेंगे।
गुजरात और यूपी की टीमों ने किया विकसित
यह ऐप गुजरात और उत्तर प्रदेश की टीमों द्वारा मिलकर विकसित किया गया है। इसे एंड्रॉइड और IOS दोनों प्लेटफॉर्म पर डाउनलोड किया जा सकेगा। खास बात यह है कि यह ऐप पूरी तरह से मुफ्त होगा। फिलहाल, ऐप का ट्रायल रन गूगल प्ले स्टोर पर चल रहा है, और इसे जल्द ही नए अपडेट के साथ अप्रैल में लॉन्च कर दिया जाएगा।
पंचांगों में मतभेद क्यों होते हैं?
विक्रमादित्य वैदिक ऐप के निदेशक श्रीराम तिवारी के अनुसार, भारतीय पंचांगों में मतभेद का मुख्य कारण अलग-अलग शहरों में रहने वाले ज्योतिषियों द्वारा अपनी-अपनी कालगणना की प्रणालियां विकसित करना है। कुछ शास्त्रों के अनुसार, समय और तिथियों की गणना का तरीका अलग-अलग हो सकता है, लेकिन यह मतभेद केवल भौगोलिक कारणों से हुआ है, ना कि भारतीय कालगणना की परंपरा में कोई अंतर होने के कारण।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी की सफलता
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में किया था। यह घड़ी दुनिया की पहली घड़ी है, जो भारतीय कालगणना के सभी घटकों को शामिल करती है। इस घड़ी में विक्रम संवत, योग, भद्रा, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्योहार, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण आदि सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती है।
एप का ट्रायल रन गूगल प्ले स्टोर पर विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि यह एप मिनी पंचांग की तरह होगा। अभी एप का ट्रायल रन गूगल प्ले स्टोर पर चल रहा है। जल्द इसे पूरा कर नए अपडेट के साथ अप्रैल में लाॅन्च कर दिया जाएगा।
मुहूर्त के मतभेद कम नहीं कर पाएगा एप पंचांगों में मतभेद को लेकर निदेशक तिवारी ने कहा- मतभेद वास्तव में है ही नहीं क्योंकि भारतीय कालगणना की परंपरा को पिछले 200-300 साल में उज्जैन से अलग-अलग देशों जैसे ग्रीन विच ले जाया गया। ऐसे ही देश में अलग-अलग शहरों में रहने वाले ज्योतिषियों ने अपने समय अनुसार गणना शुरू कर दी इसलिए मतभेद सामने आए।
उन्होंने बताया कि उज्जैन के कालगणना केंद्र को ध्वस्त कर दिया गया। जिसके बाद स्वतंत्र पंचांग तैयार हो गए। लोगों ने अपने हिसाब से पंचांग देखना शुरू कर दिया इसलिए मतभेद हो गए।
काल गणना पर आधारित विश्व की पहली घड़ी करीब एक साल पहले 29 फरवरी 2024 को उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का लोकार्पण किया था। भारतीय काल गणना पर आधारित यह विश्व की पहली घड़ी है, जिसे वैदिक काल गणना के समस्त घटकों को मिलाकर बनाया गया है। इस घड़ी में विक्रम संवत, योग, भद्रा, पर्व, शुभाशुभ मुहूर्त, घटी, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्योहार, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, ग्रह, नक्षत्र की गणना शामिल है।
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का मापन डोंगला स्थित वेधशाला को आधार बनाकर किया गया है।
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