मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित हर्बल सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित करते हुए अधिकारियों को ग्राम स्तर पर क्लस्टर बनाकर हर्बल क्षेत्र में व्यवस्थित रूप से काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हर्बल और औषधीय उत्पादों के संवर्धन और विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि हर्बल और एरोमा क्षेत्र में अग्रणी दोनों राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करने के लिए राज्य से विषय विशेषज्ञों की एक टीम भेजी जाए, ताकि इन नवाचारों को उत्तराखंड में भी लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि हर्बल उद्योग में कारोबार बढ़ाने के लिए अनुसंधान, नवाचार, उत्पादन, विपणन और ब्रांडिंग में समन्वित प्रयास किए जाने चाहिए।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र प्राकृतिक हर्बल संपदा का केंद्र है। राज्य की अपार संभावनाओं को देखते हुए हर्बल अर्थव्यवस्था का विकास सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने, स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अधिक अवसर सृजित करने और महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि हर्बल उत्पादों के मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण और प्रशिक्षण के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय से सहयोग लिया जाए। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जिन क्षेत्रों में भालू और अन्य जंगली जानवर लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं और फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं, वहाँ कृषि और वन विभाग की संयुक्त टीमें तैनात की जाएँ। ये टीमें जनता को सुरक्षा उपायों और फसल सुरक्षा के बारे में जानकारी प्रदान करें। बैठक के दौरान हर्बल शोध एवं विकास संस्थान के निदेशक डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने संस्थान में चल रहे शोध, दुर्लभ औषधीय प्रजातियों के संरक्षण, उत्पादन और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर विस्तृत जानकारी दी।
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