मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड आज इतिहास रचने जा रहा है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बनने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे से ठीक पहले दोपहर करीब 12:30 बजे इस ऐतिहासिक कानून को लागू किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक यूसीसी को पूरे उत्तराखंड में लागू किया जाएगा। यह कानून राज्य के बाहर रहने वाले उत्तराखंड वासियों पर भी लागू होगा। राज्य सचिवालय में आज यूसीसी पोर्टल का अनावरण किया जाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस कार्यक्रम की अगुआई करेंगे। एक दिन पहले (26 जनवरी) को सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी धर्म, लिंग, जाति या समुदाय के आधार पर भेदभाव से मुक्त एक सामंजस्यपूर्ण समाज की नींव स्थापित करेगा।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीएम धामी ने आगे कहा,’हम अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाना इसका एक उदाहरण है। राज्य सरकार ने अपना काम पूरा कर लिया है और जनवरी 2025 से पूरे राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी कर ली गई है।’ मुख्यमंत्री ने आगे कहा,’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने राज्य के लोगों से 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले यूसीसी लाने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद हमने इसे प्राथमिकता से किया। समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार किया गया और इस पर एक अधिनियम लाया गया। अब हम उस वादे को पूरी तरह और औपचारिक रूप से पूरा करने जा रहे हैं। यह प्रधानमंत्री के सामंजस्यपूर्ण भारत के निर्माण के दृष्टिकोण के अनुरूप होगा, जहां किसी भी धर्म, लिंग, जाति या समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं होगा।’ भारतीय संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ है। साथ ही संसद ने कानून बनाकर गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार दिया था। इसलिए गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां यूसीसी लागू है। अब उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां आजादी के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना। अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा। शादी के साथ-साथ लिव-इन में रहने वाले कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
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