मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को 90 दिनों के भीतर राज्य में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने यह भी कहा है कि कानून के अनुसार कार्रवाई करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की जाए। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर राजस्व अभिलेखों में दर्ज किसी सार्वजनिक मार्ग पर अतिक्रमण पाया जाता है तो रिपोर्ट में इस तथ्य को छिपाने के लिए संबंधित लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
न्यायालय ने सभी जिलाधिकारियों और उप-जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिया कि वे उन लोगों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करें जो इस आदेश की तिथि से 60 दिनों के भीतर संबंधित तहसीलदार या तहसीलदार न्यायिक को किसी भी अतिक्रमण के बारे में सूचित नहीं करते हैं। न्यायालय ने राज्य के निवासियों को सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने में उदासीनता बरतने वाले ग्राम प्रधानों और लेखपालों के खिलाफ दीवानी अवमानना कार्यवाही शुरू करने का भी अधिकार दिया है। यह कार्यवाही इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।
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