उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने ‘सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि’ पुस्तक का किया विमोचन

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उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने 'सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि' पुस्तक का किया विमोचन
Image Source : @VPIndia

मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने मंगलवार को नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति निवास में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा लिखित पुस्तक ‘सनातन संस्कृति की अटल दृष्टि’ का विमोचन किया। उपराष्ट्रपति ने देवनानी को पुस्तक लिखने के लिए बधाई दी और इसे एक समयोचित एवं महत्वपूर्ण योगदान कहा, विशेषकर तब जब देश पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी मना रहा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि स्वयं में एक संस्था थे, जिनका जीवन और नेतृत्व सिद्धांतों एवं मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उपराष्ट्रपति ने श्री वाजपेयी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को याद करते हुए कहा कि उन्हें 12वीं और 13वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में श्री वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए उनसे सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने जनसंघ के दिनों की सुखद यादें साझा कीं, जिनमें आपातकाल से पहले कोयंबटूर में श्री वाजपेयी के लिए एक बड़े सार्वजनिक सम्मेलन का आयोजन करना शामिल था, यह अनुभव उनके जीवन में गहरा एवं अमिट छाप छोड़ा। राष्ट्रनिर्माण में श्री वाजपेयी के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि श्री वाजपेयी की दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत को कई क्षेत्रों में रूपांतरित किया। मई 1998 में ऑपरेशन शक्ति के अंतर्गत पोखरण में सफल परमाणु परीक्षणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि श्री वाजपेयी का निर्णायक नेतृत्व वैश्विक मंच पर भारत के आत्मविश्वास एवं संकल्प को प्रदर्शित करता है। उन्होंने अटलजी के प्रेरणादायक नारे “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” को भी याद किया, जो राष्ट्रीय शक्ति के लिए उनकी समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है।

मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उपराष्ट्रपति ने छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड राज्यों के गठन में श्री वाजपेयी की दूरदर्शिता को भी रेखांकित किया, जो क्षेत्रीय आकांक्षाओं तथा विकेंद्रीकृत एवं उत्तरदायी शासन की आवश्यकता की उनकी गहरी समझ को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्थापना भी श्री वाजपेयी की समावेशी विकास एवं सबसे दूरदराज़ लोगों के लिए न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। झारखंड के राज्यपाल के रूप में अपने अनुभवों को साझा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इन दूरदर्शी निर्णयों के दूरगामी प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर प्राप्त हुआ। उपराष्ट्रपति ने कहा कि श्री वाजपेयी हमेशा सुशासन पर बल देते थे, यही कारण है कि उनका जन्मदिवस ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना और विद्युत क्षेत्र में सुधार जैसी महत्वपूर्ण पहलों का उल्लेख किया, जिन्होंने भारत के विकास के लिए मजबूत नींव रखी। इस कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और पुस्तक के लेखक वासुदेव देवनानी सहित अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित हुए।

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