मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीआरडी मेडिकल कालेज के गायनी विभाग की पूर्व अध्यक्ष के सिर पर क्षतिग्रस्त रैंप के बीम का प्लास्टर गिरने से सिर फट गया। आनन-फानन में सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने उपचार किया। आठ टांके लगाए गए। इसके दृष्टिगत शिक्षकों, विद्यार्थियों व रोगियों में दहशत है। नेहरू अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के पास बने इस रैंप के पिलर व बीम 2015 में नेपाल में आए भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए थे। तभी यह बनवाया नहीं गया है। आए दिन प्लास्टर के टुकड़े डाक्टरों व रोगियों पर गिरते रहते हैं। पूर्व विभागाध्यक्ष गायनी विभाग से लेबर कांप्लेक्स की तरफ जा रही थीं। वह रैंप के पास पहुंची ही थींं कि प्लास्टर का बड़ा टुकड़ा उनके सिर पर गिर गया। सिर फट गया। खून बहने लगा। सिर को एप्रन (डाक्टरों का ड्रेस) से दबाकर उन्होंने खून रोकने की कोशिश की और सीधे प्राचार्य कार्यालय पहुंच गईं। वहां से स्वास्थ्यकर्मी उन्हें सर्जरी विभाग ले गए। विभागाध्यक्ष डा. अशोक यादव, डा. योगेश पाल, प्लास्टिक सर्जन डा. नीरज नाथानी की टीम ने उनका उपचार शुरू किया। उपचार के बाद उन्हें घर भेज दिया गया।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस घटना को लेकर चिकित्सकों व कर्मचारियों में भय व्याप्त हो गया है। उनका कहना है कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी दिन बड़ी घटना घट सकती है। इसी रास्ते मेडिसिन इमरजेंसी वार्ड नंबर 11 में भी मरीज जाते हैं। रूटीन ओटी के रोगियों को आपरेशन के बाद वार्डों में शिफ्ट करने के लिए इसी रास्ते से ले जाया जाता है। जूनियर महिला डाक्टर व एमबीबीएस छात्राएं भी इसी मार्ग से अपने हास्टल जाती हैं। एक चिकित्सक ने तो यहां तक कह दिया कि लगता है अब हेलमेट लगाकर ड्यूटी करनी पड़ेगी। बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. रामकुमार जायसवाल ने कहा कि शिक्षक-चिकित्सक के सिर पर प्लास्टर का गिरना निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। तत्काल उनका उपचार कराया गया। ऐसी घटना दोबारा न घटे, इसकी व्यवस्था की जा रही है। पिलर व बीम की मरम्मत कराई जाएगी। बीआरडी मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल में नौ साल से डाक्टरों, कर्मचारियों, रोगियों व तीमारदारों पर खतरा मंडरा रहा है। नौ साल पहले 2015 में आए भूकंप का असर बीआरडी मेडिकल कालेज के नेहरू अस्पताल के भवनों पर भी पड़ा था। एनेस्थीसिया विभाग के पास बने रैंप के पिलर व बीम क्षतिग्रस्त हो गए थे। उनके प्लास्टर लगातार टूटकर गिर रहे हैं और लोग घायल हो गए हैं। दैनिक जागरण इस समस्या पर लगातार कालेज प्रशासन का ध्यान आकर्षित करता रहा, लेकिन आज तक इसकी मरम्मत नहीं कराई गई। प्रबंधन की लापरवाही से आए दिन लोग चोटिल हो रहे हैं। ताजा मामला बीआरडी मेडिकल कालेज के गायनी विभाग की पूर्व अध्यक्ष का है। उनका सिर फट गया। राहत की बात यह है कि सीटी स्कैन रिपोर्ट सामान्य आई है। वह अपने घर चली गई हैं, लेकिन इस घटना के बाद चिकित्सकों व कर्मचारियों में भय व्याप्त हो गया है। उनका कहना है कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो किसी दिन बड़ी घटना घट सकती है। इसी रास्ते मेडिसिन इमरजेंसी वार्ड नंबर 11 में भी मरीज जाते हैं। रूटीन ओटी के रोगियों को आपरेशन के बाद वार्डों में शिफ्ट करने के लिए इसी रास्ते से ले जाया जाता है। जूनियर महिला डाक्टर व एमबीबीएस छात्राएं भी इसी मार्ग से अपने हास्टल जाती हैं। एक चिकित्सक ने तो यहां तक कह दिया कि लगता है कि अब हेलमेट लगाकर ड्यूटी करनी पड़ेगी। भूकंप के बाद रैंप व आपरेशन थियेटर की दीवार में आई दरार अब भी जस की तस है। मरम्मत की जगह लोहे के पाइप लगाकर क्षतिग्रस्त पिलर व बीम को मजबूती देने की कोशिश की गई है। गायनी विभाग के वार्ड नंबर सात से आगे बढ़ने पर छत को सहारा देने के लिए जिस जगह लोहे की पाइप लगाई गई है, वहां से दीवार का हिस्सा टूटकर गिर चुका है। इसी रास्ते से रोगियों, डाक्टरों, कर्मचारियों को वार्डों व आपरेशन थियेटर में जाना पड़ता है। जिस छत में दरार आई है उसके ऊपरी मंजिल पर जनरल सर्जरी, आर्थो सर्जरी, गायनी विभाग व ईएनटी का रूटीन आपरेशन थियेटर है। प्राचार्य डा. रामकुमार जायसवाल ने शीघ्र इसकी मरम्मत कराने की बात कही है।
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