मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान के लिए नदियों का ड्रोन सर्वेक्षण कर उनकी स्थानीय परिस्थितियों का अध्ययन करने के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए हैं। शुक्रवार को बाढ़ संबंधी परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां कहीं नदी के मेन स्ट्रीम में सिल्ट की अधिकता हो, नदी उथली हो, वहां ड्रेजिंग को प्राथमिकता दी जाए और नदी को चैनलाइज किया जाए। यदि ड्रेजिंग से समाधान संभव न हो, तब ही तटबंध या कटान निरोधी अन्य उपायों को अपनाया जाए। प्रदेश में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3869 किमी. लंबाई वाले 523 तटबंध निर्मित हैं, जबकि 60,047 किलोमीटर लंबाई के 10,727 ड्रेन हैं। सभी ड्रेन की सफाई 31 मार्च के पहले करा ली जाए।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबंधों की सतत निगरानी की जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय रहें। श्रावस्ती, गोंडा , सीतापुर, हरदोई एवं बाराबंकी में प्रस्तावित कार्यों को समय से गुणवत्ता के साथ पूरा कर लिया जाए। साथ ही नदियों में अवैध खनन की गतिविधि कहीं भी न हो सके, इसके लिए लगातार निगरानी की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए पिछले आठ वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार हमने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है। प्रमुख सचिव सिंचाई ने मुख्यमंत्री को बताया कि जन-धन की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए 2018-19 से अब तक 1575 बाढ़ परियोजनाएं पूरी की गईं। इसमें 305 परियोजनाएं अकेले वर्ष 2024-25 में पूरी हुई हैं। इससे 4.97 लाख हेक्टेयर भूमि और 60.45 लाख की आबादी को लाभ हुआ है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वर्तमान सत्र के लिए तय की गईं परियोजनाओं का अवशेष कार्य प्राथमिकता के आधार पर नियत समय के भीतर पूरा करा लिया जाए। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं में देरी से न केवल कार्य प्रभावित होता है, बल्कि वित्तीय बजट भी बढ़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जिले अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोंडा , बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं। जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलंदशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं। यहां विभाग को अलर्ट मोड में रहना होगा।
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