मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान- एम्स रायपुर ने अपना पहला स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट यानी कि अदला-बदली से गुर्दा प्रत्यारोपण सफलतापूर्वक पूरा किया है। इसे किडनी पेयर ट्रांसप्लांट के रूप में भी जाना जाता है।
यह ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें गुर्दे की विफलता से पीड़ित मरीज के पास अपना गुर्दा दान करने वाला एक इच्छुक व्यक्ति तो होता है, लेकिन यदि असंगत रक्त समूह या फिर एचएलए एंटीबॉडी की उपस्थिति के कारण वह गुर्दा दान करने में असमर्थ है।
तो ऐसी स्थिति में किसी अन्य असंगत जोड़ी के साथ गुर्दा देने वालों की अदला-बदली करके भी प्रत्यारोपण कराया जा सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के बाद एम्स रायपुर नए संस्थानों के साथ ही छत्तीसगढ़ का भी पहला सरकारी अस्पताल बन गया है, जिसने इस जटिल जीवन रक्षक शल्य चिकित्सा को पूरा किया है।
मंत्रालय ने कहा है कि यह सफलता स्वास्थ्य सेवा को आगे बढ़ाने और गुर्दा रोग से गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों के लिए आधुनिक उपचार प्रदान करने की संस्थान की प्रतिबद्धता व्यक्त करती है। अनुमान लगाया गया है कि इस प्रत्यारोपण के बाद इस तरह के शल्य चिकित्सा की संख्या में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन ने सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में इस तरह की प्रत्यारोपण के कार्यान्वयन की सिफारिश की है।
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News & Image Source: newsonair.gov.in