मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (एनएएसी) की रेटिंग में घोटाले का बड़ा खुलासा किया है। एजेंसी ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में स्थित कोनेरु लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ) के पदाधिकारियों और नैक निरीक्षण टीम के अध्यक्ष, समन्वयक व सदस्यों समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपितों में संबलपुर विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी साइंस विभाग के मुख्य प्रोफेसर डॉ. बुलु महारणा भी शामिल हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद उनके आवास को सील कर दिया गया है। बताया गया है कि प्रोफेसर डॉ. महारणा दिल्ली विश्वविद्यालय एनएएसी टीम के साथ गुंटूर गए थे, जहां उन्होंने रिश्वत लिया था।
मीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अनुकूल A++ रेटिंग हासिल करने के लिए रिश्वतखोरी के आरोप से संबंधित एक मामले में आंध्र प्रदेश के गुंटूर के वड्डेश्वरम में एनएएसी निरीक्षण टीम के सदस्यों और कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (केएलईएफ) के पदाधिकारियों सहित 10 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। सीबीआई ने केएलईएफ पदाधिकारियों और एनएएसी निरीक्षण टीम के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया। जिसमें आरोप लगाया गया कि अनुकूल रेटिंग हासिल करने के लिए लोक सेवकों को अनुचित लाभ दिया गया। इसके बाद, सीबीआई ने चेन्नई, बेंगलुरु, विजयवाड़ा, पलामू, संबलपुर, भोपाल, बिलासपुर, गौतमबुद्ध नगर और नई दिल्ली सहित पूरे भारत में 20 स्थानों पर तलाशी ली। इस ऑपरेशन के दौरान, सीबीआई ने नकदी, सोना, लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की, जो कथित तौर पर मान्यता प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए रिश्वत के रूप में प्रदान की गई थी। सीबीआई ने कहा है कि जांच अभी भी जारी है और निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है। इस मामले ने एनएएसी मान्यता प्रक्रिया की विश्वसनीयता और शैक्षणिक संस्थानों और उनके मूल्यांकन निकायों की अखंडता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी है।
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